चलो कल तक के लिए पीनी छोड़ देता हूँ
आज पीकर शराब बोतल फोड़ देता हूँ
भर आती है आँखे जब उसकी याद में
जाम की ओर आंसुओ को मोड़ देता हूँ
जब भी लगाना होता है हिसाब तडफ का
वक्त और आहों की गुणा जोड़ देता हूँ
हुआ है जब भी वो कभी नाराज मुझसे
मैं झट से मन्दिर की तरफ दौड़ देता हूँ
मांगनी होती है जब गलती की मुआफी
मैं बेचैन खुद के कान मरोड़ देता हूँ
आज पीकर शराब बोतल फोड़ देता हूँ
भर आती है आँखे जब उसकी याद में
जाम की ओर आंसुओ को मोड़ देता हूँ
जब भी लगाना होता है हिसाब तडफ का
वक्त और आहों की गुणा जोड़ देता हूँ
हुआ है जब भी वो कभी नाराज मुझसे
मैं झट से मन्दिर की तरफ दौड़ देता हूँ
मांगनी होती है जब गलती की मुआफी
मैं बेचैन खुद के कान मरोड़ देता हूँ