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Saturday 14 January 2012

जा नही करता तेरे प्यार की मजदूरी

अगर मुझको भ्रम है तो मेरा भ्रम तोड़ दो
नही बिगड़ा है अब भी कुछ, मुझको छोड़ दो

मन के किसी कोने में गर दिल्लगी का भूत है
जितना जल्दी हो सके उसका सर फोड़ दो

जा नही करता तेरे प्यार की मजदूरी
चुपचाप गरीब आशिक का हिसाब जोड़ दो

हो सके तो खाना रहम मेरा पहला प्यार है
कही ऐसा ना निम्बू सा मुझको निचोड़ दो

बस तेरा नाम लेकर मिल लेंगे बेचैन
चाहे जहाँ भर के गम मेरी और मोड़ दो

कहाँ फंसी फिर बुदबुदाई होगी मगर कोई आसपास होगा


उसने ली जरुर अंगडाई होगी मगर कोई आसपास होगा
उसे मेरी याद तो आई होगी मगर कोई आसपास होगा

जुदाई के मारे मेरी हालत का अंदाज़ा लगाने पर यारों
उसकी आँख तो भर आई होगी मगर कोई आसपास होगा

बैठकर आईने आगे वो आज तो शायद सिंगार करते वक्त
अपने आप से बतियाई होगी मगर कोई आसपास होगा

उसकी फितरत में शामिल वही झूठा इक पुराना अफ़सोस
कहाँ फंसी फिर बुदबुदाई होगी मगर कोई आसपास होगा

शायद चुराकर सबसे नजरे उसने आह भरते हुवे बेचैन
मेरी गजल तो गुनगुनाई होगी मगर कोई आसपास होगा