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Thursday 1 March 2012

जब पंजाबी की एक महान लेखिका की कविता को पढ़ा तो मेरे भीतर का दर्द भी यूं बोल उठा,,,,,

,,,

मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,,
मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा
शायद तेरे स्वभाव की चिढ बनके,,
तेरे सामने आऊंगा,,
या एक अनजाना सा रहस्मय सूनापन बनके
हर वक्त तेरे साथ रहूँगा और तुझे तकता रहूँगा,,
तुझे लगेगा भी की मैं हूँ मगर दिखाई नही दूंगा,,,,,
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
या सूरज की रौशनी बनके ,,
चाँद की चांदनी बनके तेरे आंगन में उतरूंगा
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
या तेरा बेटा बनके तेरे कलेजे की ठंडक के रूप में
जब जब अपने बेटे को प्यार करोगी
उसकी खिलखिलाहट और रोने में अपना अक्स लेकर
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं और कुछ नही जानता
मगर इतना जानता हूँ वक्त जो भी करेगा
मेरा ये जन्म तुम्हारे साथ चलेगा,,,,,
मेरा जिस्म खत्म होता है तो सौ बार हो जाए,,,
मगर अहसास की गर्मी बनकर सदा तुम्हारी आहों में बसूँगा,,
जब भी तन्हा बैठोगी अश्क बनकर
 तुम्हारी आंख में झाँकने लगूंगा,,
जब भी हंसोगी,,,,मेरी बेबसी तुम्हारे सामने आ जायेगी,,,
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................



अब तो यादों के ही सहारे जीवन गुजारना है

मन की बातों को मन के भीतर ही मारना है
अब तो यादों के ही सहारे जीवन गुजारना है

तू लौटकर आये ना आये सब तुम्हारी मर्जी
मुझे तो हर हाल में तुम्हारा नाम पुकारना है

जुबा पर खरा उतरूंगा मौका लगने दे
जान देकर ही सही तुम्हारा कर्ज़ उतारना है

तुम रोज खूबसुरती पर बेशक देना तवज्जो
जुदाई में मुझको तो अपना दर्द निखारना है

तू मिल जाता तो कौन सी मौत जीत लेता
जिंदगी से तो बेचैन हर हाल में हारना है

बोल किस रोज लोगों से मिलाया तुझको

धडकनों में सांसों में बसाया तुझको
बोल किस रोज लोगों से मिलाया तुझको

मेरी रग रग में लहू बनके तू बहता है
सच बता पसीने सा कब बहाया तुझको

बस जमाने ने उसे आंसुओ का नाम दिया
जब जुगनू सा पलकों पर सजाया तुझको

दिल में बीवी का दखल जब बढने लगा
मैंने दाढ़ी के बियाबा में छिपाया तुझको

जब भी बेचैन गया शिवालों में कही
हाय अल्लाह की सुरत में पाया तुझको

पुस्तैनी जमीन सी तू निकल आई हिस्से में

पुस्तैनी जमीन सी तू निकल आई हिस्से में
बता नसीब पर नही इतराऊं तो क्या करूं

सम्भाले नही जाती तेरे पाने की ख़ुशी
मैं पागलों सा नही चिल्लाऊ तो क्या करूं

बांधा अल्फाज़ में तो कद अहसान का छोटा होगा
जाकर मन्दिर में न आंसू बहाऊँ  तो क्या करूं

तेरी जुल्फों के साए में गुजरेगी जिंदगी
सोच कर ख्याली पुलाव न पकाऊँ तो क्या करूं

तू कर गया है वादा ख्वाबों में मिलने का
खर्राटे दिन में बेचैन न लगाऊँ तो क्या करूं

चश्मे के तले आज से तेरा घर बना दिया

अब देखता हूँ लोगों की नजर कैसे पड़ेगी
चश्मे के तले आज से तेरा घर बना दिया

मुझको तो होश नही तू ही बता सच क्या है
कहते है लोग तुने मेरा बन्दर बना दिया

दिल और चेहरे से तुझे देकर विदा महबूब
तेरा पक्का ठिकाना रूह के अंदर बना दिया

तेरी हंसी सुनकर दिल में बैठा बच्चा बोल पड़ा
शुक्रिया तुमको मुझको मस्त कलंदर बना दिया

नदी तो शुरुआत से ही मीठी थी बेचैन
शक ने ही प्यार को खारा समन्दर बना दिया
मैं ही जानता हूँ जो तुझमे मिठास है
चाकलेट तो तेरे आगे बकवास है

मैं इससे बढ़कर तारीफ क्या करूं
तेरा प्यार ही मेरा आत्म विश्वास है

तुम अगर हंसकर लिपट जाओ इक दफा
समझूंगा मेरी बाँहों में आकाश है

कई बार बोला है आज फिर बोलता हूँ
तू मेरे जन्मों जन्मों की तलाश है

रति भर भी झूठ हो तो मर जाऊं बेचैन
बता तुझसे बढ़कर मेरा कौन ख़ास है

ना महोब्बत में तू इतनी हुश्यारी शुरू कर


हर हाल के बाद जीत की तैयारी शुरू कर
ज़हन में कामयाबी की मारामारी शुरू कर

रोटियां वो भी खाता है मत भूलना कभी
ना महोब्बत में तू इतनी हुश्यारी शुरू कर

हाथ पर हाथ रखकर बैठने से क्या मिलेगा
कमी ढूंढ़कर अपनी दूसरी पारी शुरू कर

उसने कह तो दिया मैं तुम्हारे साथ हूँ सदा
बंद अब फालतू की सोचा विचारी शुरू कर

मजदूर का बेटा आज बन गया है अफसर
तुझको काम है तो बहाल रिश्तेदारी शुरू कर

औकात नापनी है तो मेरे ज़ज्बात की नाप
लिबास देखकर ना कोई कलाकारी शुरू कर

उठ गया है माँ बाप का साया अब बेचैन
बचपना छोड़ आज से समझदारी शुरू कर

मेरा नाम लेके चिल्लाओगे तो लौट आऊंगा

मुझको तुम खुद लेने आओगे तो लौट आऊंगा
मेरा नाम लेके चिल्लाओगे  तो लौट आऊंगा

बंद है आज से प्यार की तमाम सौदेबाजी
पुराना उधार चुकाओगे  तो लौट आऊंगा

नही चाहिए मुझको तुम्हारी झूठी हमदर्दी
हंस हंसकर सितम ढहाओगे तो लौट आऊंगा 

नही जानना लोगों की राय  मेरे बारे में
]दास्ताने तडफ सुनाओगे  तो लौट आऊंगा

भरोसा तो तुम पर इतना करता है बेचैन
कसमे झूठी भी खाओगे  तो लौट आऊंगा

लौट कर जिंदगानी में आने का शुक्रिया


मखमली अहसास लौटाने का शुक्रिया
लौट कर जिंदगानी में आने का शुक्रिया

भटक सा गया था ख्यालात के जंगल में
हाथ पकड़कर राह दिखाने का शुक्रिया

मैं दोजख में पड़ा कब से रो रहा था
लेकर मुझे जन्नत में जाने का शुक्रिया

इस बहाने दर्दे इश्क का पता चल गया
मुझ पर हंसकर सितम ढाने का शुक्रिया

अब तक नाम से था तुने रूह से कर दिया
मुझे सच में बेचैन बनाने का शुक्रिया

वजूद को गिरवी रखकर पाया है तुझे

वजूद को गिरवी रखकर पाया है तुझे
इसीलिए राजदार बनाया है तुझे         

मैं बिछड़ते ही तुमसे दम तोड़ दूंगा
कितनी ही दफा तो समझाया है तुझे

अंजाम-ए-इश्क खूब सोचने के बाद
धडकन-ओ- सांसों में बसाया है तुझे

कहकर तो देख सब बदल डालूँगा मैं
कौन सा अंदाज़ ना पसंद आया है तुझे

तेरे ही सकूं की दुआओं के असर ने
यकीनन बेचैन से मिलवाया है तुझे

गर वो सामने आ गया क्या हाथ पकड़कर चल दोगे

बिन वजूद के ख्वाबों को आँखों से कब तक जल दोगे
गर वो सामने आ गया क्या हाथ पकड़कर चल दोगे

तुम सदा मुस्कुराते रहे हो औरों की ख़ुशी के लिए
कहो किस रोज जिंदगी मे खुद को प्यार के पल दोगे

तन्हाइयों की नागिन तुमको कभी नही डस पायेगी
तड़फ के उस मौके पर गर खुद को मेरी गजल दोगे

यह सोचकर तुम पर अपना आज लुटाया है बेचैन
देर सवेर महोब्बत का तुम जरुर मुझको फल दोगे

तुम भी तो रखों मुझे गले का ताबीज बनाकर

मैं रखता हूँ तुझको जैसे जान अजीज बनाकर 
तुम भी तो रखों मुझे गले का ताबीज बनाकर                                                                         

कयामत तो खुदा ने उसी दिन ही कर डाली थी
तुझे भेजा था जमी पर जब ख़ास चीज़ बनाकर

सच में चारागर मैं भी ठीक होना नही चाहता
मुझको तुम रखना हमेशा अपना मरीज़ बनाकर

जमाने भर की तरफ से तुम्हारा शुक्रिया अंग्रेजों
हर मसले का हल दिया तुमने हर्फे प्लीज़ बनाकर

इसलिए नही डालता मुझ पर कोई डोरे बेचैन
मैं रखता हूँ खुद को हमेशा बदतमीज़ बनाकर

ठहरा हुआ पानी हूँ खुद सोचो क्या करना है

कभी मजबूरियों ने घेरा तो कुछ कह नही सकता
वरना तो तुम्हारे बिन मैं जिंदा रह नही सकता

रखी है मैंने भरोसे की इंटों पर बुनियाद
मेरी महोब्बत का किला शक से ढह नही सकता

ठहरा हुआ पानी हूँ खुद सोचो क्या करना है
अपनी मर्जी से मैं किसी और बह नही सकता

वो तो तुम्ही हो जिसकी बेरुखी भी झेल रहा हूँ
वरना कांटे की चुभन तक मैं सह नही सकता

समर पिछले जन्म का है या अगले जन्म की तैयारी
जा बेचैन के बिना तू भी चैन से रह नही सकता

कल से तुम्हारी तरह फज़ुली बात करूंगा

कसम खाता हूँ ना संजीदा ज़ज्बात करूंगा
कल से तुम्हारी तरह फज़ुली बात करूंगा

बिना मिले ही इतनी तकलीफ दे रही हो
बता किसलिए मैं तुमसे मुलाकात करूंगा

जब मालूम हो गया मेरा देवता पत्थर है
किसलिए माथा रगड़कर मुनाजात करूंगा

इस जन्म का तो कोटा पूरा हो गया बेचैन
अब तो अगले जन्म प्यार के ख्यालात करूंगा

तेरी ज़ुल्फ़ मेरे हालात उलझे है


जुदाई और मौत दोनों है सामने
कसमकस में हूँ गले लगाऊं किसको

तुमने ही रोका है जिक्र करने से
अब हाल-ए दिल जाकर बताऊ किसको

तेरी ज़ुल्फ़ मेरे हालात उलझे है
सोचता हूँ पहले सुलझाऊं किसको

मेरी अकेले की नही है गलतियाँ
परेशान हूँ हकीकत समझाऊं किसको

प्यार में उसे तो मिल गया तू बेचैन
उसकी तरह मैं भी तडफाऊं किसको

हर कोई चाहता है करना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी

हर कोई चाहता है करना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी
तुम दीखते ही नही वरना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी

यहाँ अच्छे खासे लोगों की तूने बैंड बजा डाली है
बुजदिल भी सीख गये मरना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी

हाय दुनियादारी और उम्र के सभी तकाजे छोड़कर
अब रोज पड़ता है संवरना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी

सचमुच हाथ जोड़कर कहता हूँ,बोलो तो पैर पकड़ लूं
मैं तो चाहता हूँ सुधरना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी

नही मर्दों वाली बातें आंसूं बात-बात पर बहते है
बन गई बेचैन आँखे झरना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी

तू खूब खेला दिल खरगोश के साथ



बता कैसे रहूँगा मैं होश के साथ
तू बिछड़ा है इक अफ़सोस के साथ

गम ना कर बाद तेरे तन्हा नही हूँ
मैं रहूँगा दिल की खरोश के साथ

बीच सफर में तुझको लौटना था गर
फिर क्यूं चला था साथ जोश के साथ

क्या पता सर करके कलम दे देता
कुछ दिन तो निभाता सरफरोश के साथ

बता कैसे भूलेगा उम्र भर बेचैन
तू खूब खेला दिल खरगोश के साथ

यकीन है तो कर लो तुम बिन उम्र घट गई है

पहुँच कर हिज्र में सांसे यक-ब-यक डट गई है
यकीन है तो कर लो तुम बिन उम्र घट गई है

इंतिहा दर्द की मैं तुमको बता नही सकता
तुम्हे सोच सोच कर कैसे छाती फट गई है

हर सू दिखाई देता है तेरे बिछड़ने का गम
जब से वस्ल वाली मेरी खुशियाँ सिमट गई है

दो घड़ी तुझसे निगाह क्या मिलाई जादूगर 
दुनिया की हर शै से अपनी नजर हट गई है

चाहे रोना ही आया हो हिस्से में बेचैन
तुझे मानना पड़ेगा तेरी किस्मत पलट गई है