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Wednesday 29 February 2012

आज बेहद ही रुंआसा है मन तुम्हारे बिन

उखड़ा-उखड़ा बुझा सा है मन तुम्हारे बिन
आज बेहद ही रुंआसा है मन तुम्हारे बिन

जमाना सारा मुझको सहरा नजर आता है
मत पूछों कितना प्यासा है मन तुम्हारे बिन

दीमक बनकर खा रही है जुदाई रात-ओ-दिन
मत सोचना अच्छा खासा है मन तुम्हारे बिन

होता था कभी जिसका आसमां जितना कद
आज छूकर देख जरा सा है मन तुम्हारे बिन

तुम लौट आओगे फिर मेर्र पास बेचैन
शायद झूठी ही दिलासा है मन तुम्हारे बिन

दिल बच्चा नही उल्लू का पठा है

शराफत के तो नाम पर बट्टा है
दिल बच्चा नही उल्लू का पठा है

तन से नही तो मन से कमजोर है
प्यार में पड़कर कौन हट्टा कट्टा है

न यकीन तो किसी से लगाकर देख
कर देगा बरबाद दिल ऐसा सट्टा है

बेवफाई पर मार सकता है गोली
हर सीने में छिपा देसी कट्टा है

 मन जानता है कुछ भी बोल बेचैन
क्यूं तेरे हिस्से का अंगूर खट्टा है

वो रखे अपने दिल पर भार जिसे कुते ने काटा हो


इस युग में वो करे प्यार जिसे कुते ने काटा हो
दिल से वो रखे व्यवहार जिसे कुते ने काटा हो

अपना तो तजुर्बा यहाँ आकर सिमट गया है
वो करे हुश्न का एतबार जिसे कुते ने काटा हो

वादे-शिकवे और चुम्बन सब रखो नगदा नगद
महोब्बत वो करे उधार जिसे कुते ने काटा हो

मिलने का वादा तो सौ बार करेगा महबूब मगर
इनका वो करे इंतजार जिसे कुते ने काटा हो

कुछ नही पाओगे इश्क में बेचैन रहकर जनाब
वो रखे अपने दिल पर भार जिसे कुते ने काटा हो

मेरी दीवानगी की हदें तो साफ़ कहती है

तुझसे बदला जाये तो बदल जाना बेशक
मजबुरी है महीना भर ना मिलूंगा तुझसे

लगा दूसरों के हाथ तो मैं मुरझा जाऊंगा
वो गुल हूँ जो सिर्फ और सिर्फ खिलूँगा तुझसे

मेरी दीवानगी की हदें तो साफ़ कहती है
दे दो हंसकर ज़हर तक भी पी लूँगा तुझसे 

मैं जिंदा हूँ जब तक मुझे अपना ले जिंदगी
गया कब्र में तो ना रती भर भी हिलूंगा तुझसे

बेचैन मत तोड़ सब भ्रम मेरे


दर्द पहले ही ना थे कम मेरे
क्यूं कुरेदे तुमने जख्म मेरे

तेरे बाद मरने की आरज़ू है
मत भेज कही मुझे सनम मेरे

क्यू करूं तुझसे दिल की बात
जब रहे नही तुम हमदम मेरे

कितनी पी है तुझे खबर है साकी
अब तो लडखडाने दे कदम मेरे

किसी बहाने से साँस लेने दे
बेचैन मत तोड़ सब भ्रम मेरे

तू अफसरी का दे मैं दूं प्यार का इंतिहान

तू अफसरी का दे मैं दूं प्यार का इंतिहान
और दोनों हो जाए पास तो फिर बल्ले बल्ले

मैं कहता हूँ जैसे तुझको जान चन्द्रमुखी 
तू भी बोले मुझे देवदास तो फिर बल्ले बल्ले

बेशक मुझे बताना मत इन दिनों जुदाई का
है तुमको भी गर अहसास तो फिर बल्ले बल्ले

मैं तो हर मंडे तेरे नाम पर भूखा रहता हूँ
रखे तू भी कभी उपवास तो फिर बल्ले बल्ले

मेरा क्या है मैं तो नाम से भी बेचैन हूँ
पर ना हो तू कभी उदास तो फिर बल्ले बल्ले

मुझको कितना छोड़ दिया है

जा तूने दिखना छोड़ दिया है
मैंने भी लिखना छोड़ दिया है

नही लेना है कोई भी तजुर्बा
जिंदगी से सीखना छोड़ दिया है

तू ही खरीदेगा उम्मीद थी
अब मैंने बिकना छोड़ दिया है

मैं कोरी झूठ बोलूँगा अब
जुबा पर टिकना छोड़ दिया है

यह तो बता जाते बेचैन
मुझको कितना छोड़ दिया है

तू बिछड़ा है इक अफ़सोस के साथ


बता कैसे रहूँगा मैं होश के साथ
तू बिछड़ा है इक अफ़सोस के साथ

गम ना कर बाद तेरे तन्हा नही हूँ
मैं रहूँगा दिल की खरोश के साथ

बीच सफर में तुझको लौटना था गर
फिर क्यूं चला था साथ जोश के साथ

क्या पता सर करके कलम दे देता
कुछ दिन तो निभाता सरफरोश के साथ

बता कैसे भूलेगा उम्र भर बेचैन
तू खूब खेला दिल खरगोश के साथ

यकीन है तो कर लो तुम बिन उम्र घट गई है


पहुँच कर हिज्र में सांसे यक-ब-यक डट गई है
यकीन है तो कर लो तुम बिन उम्र घट गई है

इंतिहा दर्द की मैं तुमको बता नही सकता
तुम्हे सोच सोच कर कैसे छाती फट गई है

हर सू दिखाई देता है तेरे बिछड़ने का गम
जब से वस्ल वाली मेरी खुशियाँ सिमट गई है

दो घड़ी तुझसे निगाह क्या मिलाई जादूगर 
दुनिया की हर शै से अपनी नजर हट गई है

चाहे रोना ही आया हो हिस्से में बेचैन
तुझे मानना पड़ेगा तेरी किस्मत पलट गई है

समंदर का पानी उतना खारा नही है

मुझे खुश देखना गर तुम्हे गवारा नही है
जा फिर निभाने का इरादा हमारा नही है

खुशनसीबी रही तो मरकर भी दिखाऊंगा
जिंदगी तूने ढंग से मुझको मारा नही है

तू इसलिए रोज खून के आंसू रुलाता है
तू जानता है तुमसे कोई प्यारा नही है

लोगों ने जितनी अफवाह उड़ा डाली है 
समंदर का पानी उतना खारा नही है

जब तक निभी तो  मैंने खूब निभाई बेचैन
तेरी बेरुखी संग अब अपना गुज़ारा नही है

तुम्हारी तरह मैं किसी का भगवान नही हूँ

यूं भी आये दिन इंतिहान तू ना ले मेरा
तू समझता है मैं उतना सख्तजान नही हूँ

तुझमे और मुझमे फकत इतना ही फर्क है
तुम्हारी तरह मैं किसी का भगवान नही हूँ

तेरी बेरुखी का मुझको सदमा है मगर
अपनी नासाज़ तबीयत से परेशान नही हूँ

गम ना कर मुझमे तुझे न देख पायेगा कोई
मैं जहाँ में इतनी बड़ी पहचान नही हूँ

कभी हरगिज़ न बताता अपनी बेचैन हालत
बदनसीबी है मेरी मैं बेजुबान नही हूँ