मौत तो लाजिम है एक रोज सबकी दोस्त
जा तुझको पाकर कौन सा अमर हो जाऊंगा
बस इतना ही हश्र होगा तुमसे बिछड़कर
रफ्ता रफ्ता भीतर से पत्थर हो जाऊंगा
जा तुझको पाकर कौन सा अमर हो जाऊंगा
बस इतना ही हश्र होगा तुमसे बिछड़कर
रफ्ता रफ्ता भीतर से पत्थर हो जाऊंगा
गिरती रही मुझमे अगर खौफ की नदियाँ
देख लेना एक रोज समन्दर हो जाऊंगा
किस लिए करू हाय तौबा आरज़ू पालकर
साथ क्या जायेगा गर सिकन्दर हो जाऊंगा
बस इतना याद रखना बाद मेरे बेचैन
मैं झुका हुआ भरोसे का सर हो जाऊंगा
देख लेना एक रोज समन्दर हो जाऊंगा
किस लिए करू हाय तौबा आरज़ू पालकर
साथ क्या जायेगा गर सिकन्दर हो जाऊंगा
बस इतना याद रखना बाद मेरे बेचैन
मैं झुका हुआ भरोसे का सर हो जाऊंगा
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