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Wednesday 22 July 2015

वाक्यात फन के सफर में हैरतंगेज़ आते रहे

मैं करता रहा मेहनत लोग जुगाड़ भिड़ाते रहे
वाक्यात फन के सफर में हैरतंगेज़ आते रहे

 बेईमानी करती रही रेप रोज ईमानदारी का
लोग उसी को किस्मत का लिखा बताते रहे

हालांकि लहू लुहान रहा मेरा वज़ूद उम्र भर
मगर जीना था हम इसलिए मुस्कुराते रहे

जहर महज़ब का था उन दोनों के ही मन में
जो झूठी राम अल्लाह की कसम खाते रहे

एक दो यारो ने रखी लब्ज़े यारी की लाज
बाकि अहसास तो हमे मुह ही चिढ़ाते रहे

यही दुनिया है तो ये दुनिया कुछ भी नही
क्या मतलब हुआ लोग आते रहे जाते रहे

वही लोग है बेचैन आज जनाजे के साथ
हम जीते जी जिन पर उम्मीदे लुटाते रहे