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Monday 29 October 2012

सकून देकर के वो बेकसी दे गया

सकून देकर के वो बेकसी दे गया
जाने आँखों में कैसी नमी दे गया

मुझसे लेकर के वादा खुश रहने का
वो बदले में मुझको बेबसी दे गया

मैंने मुस्कुराहट उनसे क्या मांग ली
खुद पे हंसता रहूँ वो हंसी दे गया

शायद मिलकर मुझसे ख़ुशी नहीं मिली
इसलिए वो करार अजनबी दे गया

सीने में जारी है एक घबराहट सी
वो कहने को तो मुझे जिंदगी दे गया

रिश्ता पक्का हुआ दोनों में बीच में
कहकर हाथों में वो एक घड़ी दे गया

बोलकर आखरी बेचैन मुलाक़ात है
अपनी उम्र भर की मुझको कमी दे गया

Saturday 27 October 2012

आज मेरी आवाज़ ही नही दिल भी भारी है

आज मेरी आवाज़ ही नही दिल भी भारी है
छोड़कर मुझको तेरी जाने की तैयारी है

रोके नही रुकता है सैलाब आंसुओ का
बिना पानी बगेर मछली सी तडफ जारी है

नही सरक रही जिंदगी उन लम्हों से आगे
तेरी गोद में जितनी मैंने उम्र गुजारी है

मत भूलना कभी अ मेरे इश्क के खुदा
मैंने कैसे निगाहों से आरती उतारी है

वादा रहा कभी बेबसी उफ़ तक ना करेगी
मंजूर है बेचैन जो भी ख़ुशी तुम्हारी है

हम आज महोब्बत के कदमो में माथा टेक कर आये है

हम आज महोब्बत के कदमो में माथा टेक कर आये है
सकून था कितना मत पूछो हम कितना अब इतराए है

हम रोते रहे बेखुद होकर वो पोंछता रहा अश्क मेरे
छुवन हम उनके हाथों की गालों पर रचाकर लाये है

हम तकते रहे पहरों तक, वो सोचता रहा ये क्या है सब
हम रखकर उनकी गोद में सर कई देर तलक सुस्ताये है

उनसे जन्मो का नाता है हमने ये परख कर देख लिया
इस दर्द के रिश्ते के उसने हमको छाले दिखलाए है

दाता अहसान करना इतना जब साँस आखरी ले बेचैन
हो उनकी गोद में सर मेरा अरमान ये मन में जगाए है


Tuesday 23 October 2012

जियादा दिन नही चलते एक तरफा प्यार के रिश्ते

सोचता हूँ तोड़ डालू झूठे जीत हार के रिश्ते
जियादा दिन नही चलते एक तरफा प्यार के रिश्ते

आदमी की परेशानियों का यही तो सबब होता है
अपना समझता है जो होते है उधार के रिश्ते

क्यूं नही समझते जमीन को ओढने बिछाने वाले
कभी भी रास नही आते है ऊँची मीनार के रिश्ते

छुड्वाया है तेरे अहसास ने हाथों से जब हाथ
मेरी नजरो में हो चले है सब बेकार के रिश्ते

यहाँ सब हाथों की लकीरों का ही भ्रम है बेचैन
इस पार नही मिलते किसी को उस पार के रिश्ते

Monday 22 October 2012

एक ही बात कमबख्त को रोज समझानी पडती है

मत पूछो इश्क में क्या क्या दिक्कत उठानी पडती है
एक ही बात कमबख्त को रोज समझानी पडती है

तब जाकर आता है उसको बड़ी मुश्किल से यकीन
छोटी छोटी बातों पर हमें कसम खानी पडती है

नाज़ जरूरत से ज्यादा रोज उठा कर उसके
जान छिडकने की हमको यूं रस्म निभानी पडती है

इसलिए बदलता है मौसम जैसे मिजाज उसका
नाराज होने की उसकी आदत पुरानी पडती है

फीका पड़ जाता है चाँद बदली का भी बेचैन
रुखसार पर जब उसकी चुनर धानी पडती है

Sunday 21 October 2012

सफेदी जब से बालों में उतरने लगी है


सफेदी जब से बालों में उतरने लगी है
अदाए नौजवानी की मुकरने लगी है

ये क्या हो रहा है दिन-ओ-दिन आदत को
दिल-ओ-दिमाग से गद्दारी करने लगी है

घुटने लगता है दम महफ़िल में जाते ही
जब से तन्हाईया मुझ पर मरने लगी है

हो ना जाये कही गलतफहमी की शिकार
जरा सी बात पर भी धडकने डरने लगी है

कुछ भी बोल बेचैन सचमुच में यही सच है
जिंदगी उसके बाद से ही संवरने लगी है

बेवकूफों को कुर्सी विद्वान बना देती है

बेवकूफों को कुर्सी विद्वान बना देती है
टुच्चों को भी महफ़िल की शान बना देती है

बेशक तमीज़ ना हो कपड़े तक पहनने की
दौलत मगर सबको कद्रदान बना देती है

सदियों तक बजता है उसके नाम का डंका
बिरादरी जिसकी भी पहचान बना देती है

दाग उम्र भर उसका पीछा नही छोड़ता
रंजिश में जिसे खाकी शैतान बना देती है

कितनी ही सरगोशी क्यूं ना हो बुराई की
चुगली दीवारों के भी कान बना देती है

दादा के कंधे पर पोता चढ़ते ही बोला
महोब्बत रिश्तों को नादान बना देती है

बेकारी से यही तजुर्बा मिला है बेचैन
नौकरी गधों को भी इंसान बना देती है


Tuesday 16 October 2012

जिसका अहसास मेरे जीने का सहारा था

मदद खातिर जिसका मैंने नाम पुकारा था
पहला पत्थर भीड़ से उसी ने मारा था

वो भी शामिल था मेरी हंसी उड़ाने में
जिसका अहसास मेरे जीने का सहारा था

सुलगी है जिसको लेकर चिंगारी नफरत की
लब्ज़ नही है बता दूं वो कितना प्यारा था

जाने किस किस नाम से कर रहा था मुखबरी
मन का जिसके आगे मैंने दर्द उतारा था

शायद दिखावे से था प्यार उसे बेचैन
इसलिए मेरा सादापन बेहद नकारा था

Monday 15 October 2012

जो पीते नही उनको बीच में आने नही देंगे

जो पीते नही उनको बीच में आने नही देंगे
काजू भूजिया मुफ्त के चने खाने नही देंगे

हम होश में रहे या नशे में याद रखना दोस्तों
अपने उसूलो से किसी को टकराने नही देंगे

हम चम्मच से बजायेंगे बोतल को खाली करके
मज़ा नशे का बेकार में यूं ही जाने नही देंगे

दम नही है जिसमे बैठकर यारों संग पीने का
महफ़िल पर उसे हक कोई भी जमाने नही देंगे

हंसकर सुनाएगा जो कोई भी दास्ताने महोब्बत
बिन रोये उसे बेचैन किस्सा सुनाने नही देंगे

ढंग ख़ामोशी का कहता है चाहत ही नही

ऐसा लगता है उसे मेरी जरूरत ही नही
यूं पेश आता है जैसे महोब्बत ही नही

पास होकर भी नही करता वो आजकल बातें
ढंग ख़ामोशी का कहता है चाहत ही नही

और यकी जियादा जां देकर ही दिला सकता हूँ
बदनसीबी जीते जी उसे अकीदत ही नही

सजने लगे गमलो में कागज़ के फूल जब से
कीचड़ के कमल की कोई कीमत ही नही

सच तो यही है सुर्ख आँखों की कसम यारो
बेचैन मिन्नते करने की और हिम्मत ही नही

Sunday 14 October 2012

नही समझ पाता जिंदगी का क्या इशारा है

जब भी रसोई की तरफ मैंने निहारा है
महंगाई ने हाँ जोर का चांटा मारा है

तनख्वा को कभी जरुरतो को देखता हूँ
नही समझ पाता जिंदगी का क्या इशारा है

कई बार सोचा गुस्सा बीवी का है जायज़
हाँ ख्वाबो के जिसके सूली पर उतारा है

दर्द बेकारी का पहले ही कुछ कम ना था
मुझे ऊपर से महोब्बत ने चाबुक मारा है

ये सारी ऐसी तैसी नेताओ की हुई है
खौफ आम आदमी का जिसने निखारा है

शायद मिठास ज्यादा है तेरे अहसास का
मेरे अश्को का स्वाद इसलिए खारा है

बेचैन रिश्तेदारो की फ़िक्र नही करता
महबूब उसका उसके लिए ध्रुव तारा है



Saturday 13 October 2012

हूँ कसमकश में तमन्नाओं का क्या होगा


हूँ कसमकश में तमन्नाओं का क्या होगा
क्या हक में मेरे कोई ना फैंसला होगा

उन्हें ये शक में दुनिया को सब बता दूंगा
मुझे ये खौफ वो ना संग रहा तो क्या होगा

कही से भेज वो लम्हे सकून हो जिसमे
अ वक्त तेरा कसम से बड़ा भला होगा

वो जिरह करते करते कभी जो बिछड़ गया
ता उम्र भर के लिए बहुत ही बुरा होगा

कपकपी उनके लब्जो की यही कहती है
मजबूरियों के सिवा ना सबब दूसरा होगा

मेरे इश्क ने बेचैन पक्का सोच लिया
हर एक जन्म में मेरा वही खुदा होगा

सांसे हुई है भारी भारी आपके बिना


कैसे कटेगी उम्र सारी आपके बिना
सांसे हुई है भारी भारी आपके बिना

बज्मे सुखन में जब भी कोई शेर पढूंगा
झलकेगी साफ़ लाचारी आपके बिना

किसके लिए करू बता बालों में कंघी
आईने से तोड़ दी यारी आपके बिना

कितना ही इल्म लोगों से सीख लूं लेकिन
ना आएगी समझदारी आपके बिना

कहने को तो बैठा हूँ खोलकर बोतल
छाएगी कैसे खुमारी आपके बिना

जन्नत में बैठकर भी मैं यही कहूँगा
बेकार है सब बेकरारी आपके बिना

मैं बेचैन इसे जियादा और क्या कहूं
कुछ भी नही किस्मत हमारी आपके बिना

ज़ुल्फ़ की रस्सी बनाकर मुझे फांसी तोड़ दे

ज़ुल्फ़ की रस्सी बनाकर मुझे फांसी तोड़ दे
नही बस में तो चुप रहने की जिद छोड़ दे

या तो इन घटाओ को बोल खुलकर बरसे
या बोल मुझे आँखों से समन्दर निचोड़ दे

यूं हक ना मारिये अपने गरीब आशिक का
मेरी प्यास,नींद-ओ-चैन का हिसाब जोड़ दे

दूर बहुत दूर जाकर ही मुस्कुरा लूँगा मैं
कोई तो राह ख़ुशी की मेरी और मोड़ दे

ऐसा अपाहिज बनाया है इश्क ने बेचैन
कह नही सकता खुद को कही ओर दौड़ दे

तस्वीर भेज अपनी अगर मुझसे प्यार है

तू सच में कही से जो मेरा गमख्वार है
तस्वीर भेज अपनी अगर मुझसे प्यार है

मैं लाश जिंदा बन गया हूँ दो ही रोज में
दिन बाकि उम्र के पड़े अभी कई हजार है

वादा वफा हंसने का हर हाल में होगा
वैसे भी मेरा चुटकलों का कारोबार है

मत भूलना कभी कही कोई तडफ रहा है
दुनिया में किसी को तुम्हारा इंतजार है

हम किस तरह करीब आये एक दूजे के
हाहा दास्तान अपनी वाकई मजेदार है

मजबूरी-ओ-नसीब दोनों पीछे पड़े है
शायद इसी का नाम बेचैन संसार है

बंदिश लगाके आहों पे कहता है प्यार कर

बंदिश लगाके आहों पे कहता है प्यार कर
मेरे पास बैठ कर ही मेरा इंतजार कर

मुजरिम समझ बैठा हूँ खुद को तुम्हारा मैं
इतना भी जान मुझको ना अब शर्मसार कर

आता नही समझ में अब करू तो क्या करू
कैसे मैं खुद से ही कहूं गूंगा व्यवहार कर

शक की नजर से रोज मेरा ना इंतिहान ले
इंसान गलत नही हूँ मेरा एतबार कर

मजबूरिया तुम्हारी मुझे अच्छे से पता है
मेरी बेबसी पे तू भी तो सोच विचार कर

कब तक करेंगे नसीब से दो दो हाथ हम
सिक्का उछाल कर ही सही जीत हार कर

तू भी बेचैन होता है सुनकर मेरा नाम
मिल जायेगा सकूं मुझे तू इकरार कर


 

Wednesday 10 October 2012

जा तुझको पाकर कौन सा अमर हो जाऊंगा

मौत तो लाजिम है एक रोज सबकी दोस्त
जा तुझको पाकर कौन सा अमर हो जाऊंगा

बस इतना ही हश्र होगा तुमसे बिछड़कर
रफ्ता रफ्ता भीतर से पत्थर हो जाऊंगा

गिरती रही मुझमे अगर खौफ की नदियाँ
देख लेना एक रोज समन्दर हो जाऊंगा

किस लिए करू हाय तौबा आरज़ू पालकर
साथ क्या जायेगा गर सिकन्दर हो जाऊंगा

बस इतना याद रखना बाद मेरे बेचैन
मैं झुका हुआ भरोसे का सर हो जाऊंगा

तजुर्बे ने जिसको भी जितना सिखाया है

तजुर्बे ने जिसको भी जितना सिखाया है
रूप जिंदगी का वही निकलकर आया है

वक्त ने उसी को चित करके छोड़ा है
अक्लमंदी का जिसने रौब जमाया है

भीड़ रिश्ते नातों की कुछ भी तो नही है
जान बूझकर हमने सर पर चढ़ाया है

दोस्तों उम्र पर भी हंसी आने लगती है
दिवानगी का जब दिल ने राग गाया है

जो कुछ भी है वजूद ही तो है बेचैन
फिर जिस्म पर हुश्न किसलिए इतराया है

कागज़ के फूलो की मुझे क्या जरूरत है



कागज़ के फूलो की मुझे क्या जरूरत है
जब पहलू में महका गुलाब लिए बैठा हूँ

कोई सितारों सी चमक रखता है तो रखे
मैं दिल में अपने महताब लिए बैठा हूँ

तू मंजिल की हद जिसे समझता है रकीब
मैं उससे आगे का ख्वाब लिए बैठा हूँ

यूं कम नही होगा मेरा नशा उम्र भर
इश्क की आँखों में शराब लिए बैठा हूँ

इसलिए नही देता तरजीह सवालों को
जवाबो का भी मैं जवाब लिए बैठा हूँ

वजूद के जिंदा रहने का यही सबब है
सच से टकराने की ताब लिए बैठा हूँ

बाकि है अभी मिलनी लानत दुनिया की
यही सोचकर जिंदा कसाब लिए बैठा हूँ

वक्त मुझे धोखा देगा तो कैसे देगा
पाई पाई का बेचैन हिसाब लिए बैठा हूँ

बीवी हो बीवी की तरह रहो, दिलरुबा ना बनो


बीवी हो बीवी की तरह रहो, दिलरुबा ना बनो
तुम तो बच्चो की ही सही हो, मेरी माँ ना बनो

रहना है तो दिमाग में रहो ज़िम्मेदारी बनकर
दिल में उछल कूद करने का सिलसिला ना बनो

जिसने कीमत दी है वही है ख्वाबो का मालिक
किसी की अमानत को पाने का हौसला ना बनो

कभी मत भूल हद मीठे की कडवाहट होती है
ज्यादा चासनी में डूबी हुई तुम जुबा ना बनो

उम्मीदों पर खरे ना उतरे तो पाप लगेगा
कभी इश्क में बेचैन किसी का खुदा ना बनो

कैसे कटेगी उम्र सारी आपके बिना


कैसे कटेगी उम्र सारी आपके बिना
सांसे हुई है भारी भारी आपके बिना

बज्मे सुखन में जब भी कोई शेर पढूंगा
झलकेगी साफ़ लाचारी आपके बिना

किसके लिए करू बता बालों में कंघी
आईने से तोड़ दी यारी आपके बिना

कितना ही इल्म लोगों से सीख लूं लेकिन
ना आएगी समझदारी आपके बिना

कहने को तो बैठा हूँ खोलकर बोतल
छाएगी कैसे खुमारी आपके बिना

जन्नत में बैठकर भी मैं यही कहूँगा
बेकार है सब बेकरारी आपके बिना

मैं बेचैन इसे जियादा और क्या कहूं
कुछ भी नही किस्मत हमारी आपके बिना

वैसे भी मेरा चुटकलों का कारोबार है


तू सच में कही से जो मेरा गमख्वार है
तस्वीर भेज अपनी अगर मुझसे प्यार है

मैं लाश जिंदा बन गया हूँ दो ही रोज में
दिन बाकि उम्र के पड़े अभी कई हजार है

वादा वफा हंसने का हर हाल में होगा
वैसे भी मेरा चुटकलों का कारोबार है

मत भूलना कभी कही कोई तडफ रहा है
दुनिया में किसी को तुम्हारा इंतजार है

हम किस तरह करीब आये एक दूजे के
हाहा दास्तान अपनी वाकई मजेदार है

मजबूरी-ओ-नसीब दोनों पीछे पड़े है
शायद इसी का नाम बेचैन संसार है

Wednesday 3 October 2012

हुस्न तेरी मर्जी जीने दे या मार दे

चाहे हलाल कर या जी भरके प्यार दे
हुस्न तेरी मर्जी जीने दे या मार दे

बंद कर दिया है सोचना मैंने आजकल
नही फर्क पड़ेगा कितना ही इंतजार दे

खुद से जियादा तुझपे भरोसा किया है
शर्मिंदा करना है तो झूठा एतबार दे

आती है कमी अगर सजने संवरने में
मेरे लहू का अपने लबों को सिंगार दे

बेचैन इश्क का मजा दुगना आयेगा
महबूब को दाता तडफ और खुमार दे

Tuesday 2 October 2012

सर रखके सीने पर मुझे सम्भालो

तुम्हारी सांसो की खुशबू मुझको
बड़ा तंग करती है इसे समझा लो

खुमार रहता है तुम्हारा हर लम्हा
हाय, कही मर जाऊ ना रहम खा लो

यूं एकटक मुझको कभी ना देखाकर
मुझे डर लगता है पलकें झपका लो

रफ्तार धडकन की बढती जाती है
सर रखके सीने पर मुझे सम्भालो

हाल बच्चे सा मेरे अहसास का है 
बेचैन रोये तो सीने से लगा लो


खामोश रहकर जियादा बकवास ना करो

मेरी अच्छी भली छुट्टी का नाश ना करो
खामोश रहकर जियादा बकवास ना करो

चुपचाप लौट आओ अच्छे बच्चों की तरह
मुझको गुस्सा दिलाने का प्रयास ना करो

तैश में रहने से रंग काला पड़ जाता है
मुह फुलाने का इतना अभ्यास ना करो

गलतफहमी पत्थर में जान फूंक देती है
चुगलखोरो पर झटके में विश्वास ना करो

उम्र भर मल मुझे दर्दे अहसास पर बेचैन
झंडूबाम ही रहने दो च्वनप्राश ना करो