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Saturday 7 January 2012

बना लो कोई प्रोग्राम ठंड और संडे दोनों है

सुन बिन गुठली वाले आम ठंड और संडे दोनों है
बना भी ले कोई प्रोग्राम ठंड और संडे दोनों है

मुझे टोकने की गुस्ताखी हो सके तो मत करना
भाड़ में जाए काम धाम ठंड और संडे दोनों है

हद से ज्यादा जरूरत है दिल के दर्द को तुम्हारी
 मत दूर जा अ झंडूबाम ठंड और संडे दोनों है

बस आँखों में डाल आँखें पास मेरे बैठी रह
कबूल तेरे सब इल्जाम ठंड और संडे दोनों है

नही आएगी कमज़ोरी इक रोज की छुट्टी से
नही करते आज व्यायाम ठंड और संडे दोनों है

मौसम के बहाने मस्ती से मिलना हो जायेगा
देख लगाकर तू भी जाम ठंड और संडे दोनों है

ना रहे बेचैन कोई सबका दाता करे जुगाड़
सबके मन को मिले आराम ठंड और संडे दोनों है

कमबख्त दिल के साथ मेरा दिमाग ले गया

वो सोचने समझने की सब आग ले गया
कमबख्त दिल के साथ मेरा दिमाग ले गया

काम कोई भी ढंग से नही हो रहा है
मेरी जादूगरी के वो सब्जबाग ले गया

खुद तो गया दो जहाँ से मगर साथ अपने
तमाम गिद्ध और चीलों को काग ले गया

उसकी शक्ल के सिवा सब धुंधला दिख रहा है
वो आँखों की पुतलियों का चिराग ले गया

इसलिए रहता हूँ बेचैनी में बेचैन
वो मुस्कुराकर मन का सुरीला राग ले गया

तू फिक्रमंद निकली अपने दीवाने के लिए

शुक्रिया अहसास का जाम पिलाने के लिए
तू फिक्रमंद निकली अपने दीवाने के लिए

तुम आँखों से पिलाने को तैयार हो जब
मैं क्यूं भटकता फिरूंगा मयखाने के लिए

जान देकर भी उम्मीदों पर खरा उतरूंगा
कैसे भी पेश आ मुझे आजमाने के लिए

इश्क को पैदा किया है जां लूटाने के लिए
हुश्न तराशा है खुदा ने गजब ढाने के लिए

आइन्दा से आँख ख़ुशी में ही छलकेगी
सबब नही अब पलके झिलमिलाने के लिए

आगे बढ़कर थाम लिया सौ बार शुक्रिया
जो बेचैन था लम्हा पास आने के लिए