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Monday 12 December 2011

उसने छोड़ने की धमकी दी है

उसने छोड़ने की धमकी दी है
दिल को तोड़ने की धमकी दी है

मेरी रातें तन्हाइयों के साथ
फिर से जोड़ने की धमकी दी है

कशमकश में हूँ क्या करूं उसने
गुमनामी ओढने की धमकी दी है

वो जनता है मैं चल नही सकता
उसने दौड़ने की धमकी दी है

करके बहाना जमाने का बेचैन
दिल को मोड़ने की धमकी दी है

होश वालों से पूछो उन्हें कब शर्म आती है

शौक नही है पीने का मजबूरी पिलाती है
मूड़ बनता है तब जब उसकी याद आती है

दर्दे-दिल बर्दाश्त करना सबके बस का नही
इसे वो समझेगा लोहे की जिसकी छाती है

दगा देता है जब यार प्यार और रिश्तेदार
दवा के भेष में शराब ही साथ निभाती है

उस दिन तो दोस्तों हर हाल में जाम लगाता हूँ
जब लड़ाई के अंदेशे से बाई आँख फडफडाती है

खूब लिहाज़ बरतता हूँ पीने के बाद बेचैन
होश वालों से पूछो उन्हें कब शर्म आती है


अच्छे अच्छे तन्हाई के हवाले किए है

इश्क तूने खूब गडबड घोटाले किए है
अच्छे अच्छे तन्हाई के हवाले किए है

कर दिया साबित पल में दिल को बच्चा
प्यार ने पैदा ऐसे ऐसे दिलवाले किए है

जां छिडकने को मजबूर हुवे है परवाने
शमा ने जब भी दोस्तों उजाले किए है

सरे बज्म की है जिसने चुगली किसी की
उसकी जुबान पर वक्त ने छाले किए है

बढ़ी है जिन धडकनों की रफ्तार बेचैन
उस दिल ने काम सबसे ही निराले किए है