हम आज महोब्बत के कदमो में माथा टेक कर आये है
सकून था कितना मत पूछो हम कितना अब इतराए है
हम रोते रहे बेखुद होकर वो पोंछता रहा अश्क मेरे
छुवन हम उनके हाथों की गालों पर रचाकर लाये है
हम तकते रहे पहरों तक, वो सोचता रहा ये क्या है सब
हम रखकर उनकी गोद में सर कई देर तलक सुस्ताये है
उनसे जन्मो का नाता है हमने ये परख कर देख लिया
इस दर्द के रिश्ते के उसने हमको छाले दिखलाए है
दाता अहसान करना इतना जब साँस आखरी ले बेचैन
हो उनकी गोद में सर मेरा अरमान ये मन में जगाए है
सकून था कितना मत पूछो हम कितना अब इतराए है
हम रोते रहे बेखुद होकर वो पोंछता रहा अश्क मेरे
छुवन हम उनके हाथों की गालों पर रचाकर लाये है
हम तकते रहे पहरों तक, वो सोचता रहा ये क्या है सब
हम रखकर उनकी गोद में सर कई देर तलक सुस्ताये है
उनसे जन्मो का नाता है हमने ये परख कर देख लिया
इस दर्द के रिश्ते के उसने हमको छाले दिखलाए है
दाता अहसान करना इतना जब साँस आखरी ले बेचैन
हो उनकी गोद में सर मेरा अरमान ये मन में जगाए है
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