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Wednesday 26 October 2011

जानता हूँ दीवाने और क्या करते है

जानता हूँ दीवाने और क्या करते है
महबूब की यादों का नशा करते है

किसी भी बहाने सज़ा मिलती ह
महोब्बत में जो लोग दगा करते है
मंदिरों में जाकर माथा रगड़ने वाले
वजूद की पत्थरों से चुगलियाँ करते है
जंग के साये कम से कम सयाने लोग
अमन और सलामती की दुआ करते है
ता-उम्र दुःख पाते हैं बेचैन वो लोग
हर किसी पर जो भरोसा करते है

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