गुज़री हुई एक तिहाई जिंदगानी बताती है
हमे महबूब से ज्यादा माँ की याद आती है
खुदगर्ज़ी का अहसास जीवन की भागदौड़
हमसे आखरी साँस तक छूट नही पाती है
कौम मज़हब रबर के बने सियासती मुद्दे
इंसानियत इनमे चीखती है कुलबुलाती है
आंसूजल से पाक कोई भी दूसरा जल नही
जज्बात की नदियां अपना शोध बताती है
आरती किसी भी भी उतारो तो यूं उतारो
समझो बेचैन साँसे दीप है तो आँखे बाती है
हमे महबूब से ज्यादा माँ की याद आती है
खुदगर्ज़ी का अहसास जीवन की भागदौड़
हमसे आखरी साँस तक छूट नही पाती है
कौम मज़हब रबर के बने सियासती मुद्दे
इंसानियत इनमे चीखती है कुलबुलाती है
आंसूजल से पाक कोई भी दूसरा जल नही
जज्बात की नदियां अपना शोध बताती है
आरती किसी भी भी उतारो तो यूं उतारो
समझो बेचैन साँसे दीप है तो आँखे बाती है
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