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Tuesday 20 December 2011

तुम हदों को तोड़ने की तैयारी कर लो

मेरे भीतर के शैतान से यारी कर लो
तुम हदों को तोड़ने की तैयारी कर लो

चेहरा बोल देगा मन की हर एक बात
आखिर कितनी ही तो हुश्यारी कर लो

जो नसीब में नही है कभी नही मिलेगा
तुम कितनी ही दोस्त मारामारी कर लो

नही घेरते है जब तक मुझे ऐब रिश्तेदारों
कितनी ही मेरे घर पर बमबारी कर लो

चंदा लेने आ रही है सियासत आपके द्वार
बचना है तो खुद को खदरधारी कर लो

मन में छिपा शख्स बाहर जरुर झांकेगा
तुम कितनी भी बेचैन कलाकारी कर लो

1 comment:

Anonymous said...

khubsurat khayal hai,Bechain bhai....