Friends

Friday 16 December 2011

वो चाँद के जैसे शरमाता रहे

हंसकर मेरे ख़्वाबों में आता रहे
वो ता-उम्र यूं ही मुस्कुराता रहे

वो रहम मुझ पर ना खाए बेशक
मुफलिसों पर तरस खाता रहे

मजा आ रहा हैं प्यार करने का
वो मुझे रोजाना ही सताता रहे

देखकर लोग यूं ही तारीफे करे
वो चाँद के जैसे शरमाता रहे

हर जन्म में तुम्हारा बेचैन
वो महबूब ही विधाता रहे

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