Friends

Sunday 7 August 2011

मित्रता दिवस पर जब यादों के जंगल में गया तो ये रचना तैयार हुई



कुछ साले कुछ कुते कुछ कमीने याद आये
दोस्ती के नाम पर कुछ नगीने याद आये
बयाँ नही कर सकता मैं अहसास जिनका
मस्ती बिखेरते मुझे वो महीने याद आये
खुदा कितना साथ देता है नाखुदाओ का
जब महोब्बत के हमको सफिने याद आये
इश्क में उन दिनों की मेहनत तौबा तौबा
कैसे -कैसे निकले वो पसीने याद आये
सर चढ़कर बोलती थी नौजवानी मगर
बदमाशियो के हमको करीने याद आये
जिक्र मयकशी का छिड़ा तो सुन बेचैन
कोलिज़ में बैठकर जाम पीने याद आये

No comments: