Friends

Wednesday 29 February 2012

मेरी दीवानगी की हदें तो साफ़ कहती है

तुझसे बदला जाये तो बदल जाना बेशक
मजबुरी है महीना भर ना मिलूंगा तुझसे

लगा दूसरों के हाथ तो मैं मुरझा जाऊंगा
वो गुल हूँ जो सिर्फ और सिर्फ खिलूँगा तुझसे

मेरी दीवानगी की हदें तो साफ़ कहती है
दे दो हंसकर ज़हर तक भी पी लूँगा तुझसे 

मैं जिंदा हूँ जब तक मुझे अपना ले जिंदगी
गया कब्र में तो ना रती भर भी हिलूंगा तुझसे

No comments: