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Sunday 7 August 2011

जब से हुवे बदतमीज़ थोडा



हम मुद्तो रहे अपनी हद में
ना बढ़ पाए रुतबा-ए- कद में
जब से हुवे बदतमीज़  थोडा
नाम आ गया बडो की जद में
आज कुर्सी की बात ना करो
अजीब सी ताकत है पद में
खूब पछताए इक उम्र के बाद
जो चूर थे कभी अपने मद में
राज बेचैन होने का जान जाओगे
 झांक कर देखो  मुझ निखद में