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Saturday, 17 February 2018

मन तन्हाई से बतिया कर बुद्ध हुआ है

जहन संग यादों का जब से युद्ध हुआ है
मन तन्हाई से बतिया कर बुद्ध हुआ है

जितना भी रोये हिज़्र में उनका नाम ले
इस रुह का कोना कोना शुद्ध हुआ है

मुमकिन नहीं फिर से मिले इस जन्म में
मुलाकात का हर रास्ता अवरूद्ध हुआ है

औकात भूल जुर्मे चाहत किया जब से
हालात तब से मुझ पे बहुत क्रुद्ध हुआ है

दिल के बदले जिसने वज़ूद दिया बेचैन
इश्क का जर्रा जर्रा उसके विरूद्ध हुआ है

Sunday, 5 March 2017

आंगली धनुष के नीचे मेरी जद जद आई सै

आंगली धनुष के नीचे मेरी जद जद आई सै
अक्सर मर्द बणके हिम्मत मेरी मुस्कुराई सै

मैंने कई समुन्द्र पार कर दिए जोहड़ समझके
परिस्थितियां की काई मैंने जकड़ नही पाई सै

मेरे जद तै समझ आई सै जिंदगी अर दुनिया
उम्मीद मैंने दुसऱ्या तै फेर कम ए लगाई सै

उम्र और तज़ुर्बा नै जो दिया खुश होके लिया सै
कदे ओरां  की उपलब्धि पै नज़र नही गढ़ाई सै

देख लिए इसलिए होऊंगा मैं कामयाब बेचैन
क्योंकि कामयाब होण की मैंने कसम खाई सै