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Sunday 5 March 2017

आंगली धनुष के नीचे मेरी जद जद आई सै

आंगली धनुष के नीचे मेरी जद जद आई सै
अक्सर मर्द बणके हिम्मत मेरी मुस्कुराई सै

मैंने कई समुन्द्र पार कर दिए जोहड़ समझके
परिस्थितियां की काई मैंने जकड़ नही पाई सै

मेरे जद तै समझ आई सै जिंदगी अर दुनिया
उम्मीद मैंने दुसऱ्या तै फेर कम ए लगाई सै

उम्र और तज़ुर्बा नै जो दिया खुश होके लिया सै
कदे ओरां  की उपलब्धि पै नज़र नही गढ़ाई सै

देख लिए इसलिए होऊंगा मैं कामयाब बेचैन
क्योंकि कामयाब होण की मैंने कसम खाई सै



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