जिम्मेवारियों से जी चुराऊँ इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे
किसी को भी ठेस पहुंचाऊं इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे
मन कस्तूरी गन्ध के पीछे कई जन्मों से भाग रहा हूँ
मैं मन्ज़िल से दगा कमाऊं इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे
जिंदगी दोबारा न मिलेगी यह समझने के बावजूद भी
अपना हीरे सा जन्म गंवाऊं इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे
अपने सुख की दुआओं में औरों का भी सुख मांगता हूँ
दुःख किसी का कभी बढाऊँ इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे
कोई भी गलत मायने ना निकाले बेचैन मेरी बेचैनी के
मैं खुलकर सबको समझाऊँ इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे
किसी को भी ठेस पहुंचाऊं इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे
मन कस्तूरी गन्ध के पीछे कई जन्मों से भाग रहा हूँ
मैं मन्ज़िल से दगा कमाऊं इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे
जिंदगी दोबारा न मिलेगी यह समझने के बावजूद भी
अपना हीरे सा जन्म गंवाऊं इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे
अपने सुख की दुआओं में औरों का भी सुख मांगता हूँ
दुःख किसी का कभी बढाऊँ इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे
कोई भी गलत मायने ना निकाले बेचैन मेरी बेचैनी के
मैं खुलकर सबको समझाऊँ इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे
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