शुक्रिया अहसास का जाम पिलाने के लिए
तू फिक्रमंद निकली अपने दीवाने के लिए
तुम आँखों से पिलाने को तैयार हो जब
मैं क्यूं भटकता फिरूंगा मयखाने के लिए
जान देकर भी उम्मीदों पर खरा उतरूंगा
कैसे भी पेश आ मुझे आजमाने के लिए
इश्क को पैदा किया है जां लूटाने के लिए
हुश्न तराशा है खुदा ने गजब ढाने के लिए
आइन्दा से आँख ख़ुशी में ही छलकेगी
सबब नही अब पलके झिलमिलाने के लिए
आगे बढ़कर थाम लिया सौ बार शुक्रिया
जो बेचैन था लम्हा पास आने के लिए
तू फिक्रमंद निकली अपने दीवाने के लिए
तुम आँखों से पिलाने को तैयार हो जब
मैं क्यूं भटकता फिरूंगा मयखाने के लिए
जान देकर भी उम्मीदों पर खरा उतरूंगा
कैसे भी पेश आ मुझे आजमाने के लिए
इश्क को पैदा किया है जां लूटाने के लिए
हुश्न तराशा है खुदा ने गजब ढाने के लिए
आइन्दा से आँख ख़ुशी में ही छलकेगी
सबब नही अब पलके झिलमिलाने के लिए
आगे बढ़कर थाम लिया सौ बार शुक्रिया
जो बेचैन था लम्हा पास आने के लिए
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