Friends

Friday 16 November 2012

आशिक और नेता में कोई फर्क नही

आदमी पर जब वक्त बुरा आता है
ऊंट पर बैठे को कुता काट खाता है

आशिक और नेता में कोई फर्क नही
दोनों का दिल हारकर पछताता है

दौलत से बढ़कर एक और नशा है
शोहरत का जिसे भूत कहा जाता है

अक्ल तो धक्के खाने से आएगी
बादाम दिमाग थोड़े ही चलाता है

जिसकी रगों में है बेचैन गंदा खून
माल हराम का उसी को भाता है

No comments: