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Wednesday 1 August 2012

वो बहन मुझे राखी बांधे जिनका भाई नही है

 अभी रिश्तो में इतनी गिरावट आई नही है
वो बहन मुझे राखी बांधे जिनका भाई नही है

किसी की आँखों में देखू रक्षा बंधन पर आंसू
कम से कम मेरा ज़हन इतना तमाशाई नही है

हमारी ही कमी से है आज टोटा लडकियों का
इसमें कुदरत की कही से भी अगुआई नही है

सदा याद रखना बेटे की चाहत रखने वालों
बिना बेटी के मुक्ति देवो ने भी पाई नही है

महबूबा को परी कहने वालो सच सच बताओ
क्या बहन में बेचैन खूबसूरती समाई नही है



1 comment:

Anonymous said...

वाह ! आप ऐसे-ऐसे ख्यालों को इतने गज़ब तरीके से ऐसे शब्दों की तुक में बांधते हैं कि हम सब तो बस अवाक् रह जाते हैं ! कमाल है ! कठोर और नीरस शब्द भी आपके ख्यालों से सरस और काव्यात्मक बन जाते है ! nirmal kothari