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Monday 23 April 2012

प्यार है तू मेरा अफ़सोस नही


दिल तेरी याद में सुबकता है
आके चुप क्यूं नही तू करवाता

दम निकलने को है तुम्हारी कसम
है आखरी पल क्यूं नही तू आता

मैं बिखर जाऊंगा खुशबू की तरह
ता-उम्र रहियों फिर तू पछताता

तुझको चाहा यही है जुर्म मेरा
इस खता की सज़ा तो दे जाता

रोज कहता है आईने से जो
काश मुझसे कभी तू कह पाता

प्यार है तू मेरा अफ़सोस नही
आ जाता तो मैं तुझको समझाता

आहें बेचैन सुनता जो मेरी
जाके मन्दिर में आंसू छलकाता

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