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Monday 23 April 2012

मैं काटकर जुबां दे दूं तो भी कम है


तेरे अहसान में इतना बड़ा दम है
मैं काटकर जुबां दे दूं तो भी कम है

वरना तो शक होता था अपने आप पर
तुझे पाया तो लगा मेरे अच्छे कर्म है

... क्यूं नही होगा तेरा रोजाना दीदार
जान सोच सोच कर मेरी आँखे नम है

देखना मैं भी साथ दूंगा और किस्मत भी
तेरे साथ बुरा होगा यह मन का भ्रम है

अपना तो गणित यही कहता है बेचैन
करोड़ो में तुम जैसे कुछेक ही सनम है

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