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Thursday 8 March 2012

बता तो क्या बोलू तुझे मैं आज जिंदगी

तलाश रहा हूँ सुबह से अल्फाज़ जिंदगी
बता तो क्या बोलू तुझे मैं आज जिंदगी

तेरी कसम बहुत रोता फाग के दिन मैं
बात नही करती गर तू आज जिंदगी

मुझे किस्मत बेशक शहनशा ना बनाये
मगर तुझे बोलता हूँ मुमताज़ ज़िदगी

हाँ पहले भी साँस के साथ बोला है
लव यूं फिर से बोलता हूँ आज जिंदगी

जो तुझे सुहाएगा वो गीत गाऊंगा
तू बजा कर देख कोई भी साज जिंदगी

तेरे रुठते ही बेचैन हो जाता हूँ
मुझपे गिरती है जोर से गाज जिंदगी

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