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Friday 9 December 2011

सबके टकराते है बरतन ना झूठ बोलिए

चेहरा है मन का दरपन ना झूठ बोलिए
तेज़ हो जाएगी धडकन ना झूठ बोलिए

मियाँ-बीवी की तकरार पे शर्मिंदगी कैसी
सबके टकराते है बरतन ना झूठ बोलिए

मुमकिन नही जो बात उसका वादा ना करो
कर दोगे सब कुछ अरपन ना झूठ बोलिए

जब देखते है आप मुझे मुस्कुराकर हुजुर
बढती है दिल की तडफन ना झूठ बोलिए


बेचैन जमाने में पूछ लीजिये किसी से भी
याद आता है सबको बचपन ना झूठ बोलिए

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