Friends

Friday 5 August 2011

सफर की शुरुआत ही क्यू होती है



घर की मुर्गी दाल बराबर होती है
बात में कितने तौला  मोती है
सोच समझ कर बताओ यारो
उमर ख़ुशी की किसलिए छोटी है
ता-उमर चलके भी दो गज जमी
सफर की शुरुआत ही क्यू होती है
उसकी यादें ना हुई गजब हो गया
आते ही मन का चैन क्यू खोती है
हजारों रिश्तो के आगे भी बेचैन
माँ किसलिए नम्बर वन होती है

No comments: