वो मुरीद है मेरा, मेरे हुनर के बाइस
लोग शैदा होते है वरना जर के बाइस
कब का भूल गया होता घर गाँव का लेकिन
इक पहचान बाकि है सूखे शजर के बाइस
मैं सह नहीं सकता, नशा नींद का मगर
जाग सकता हूँ, बज्मे-सुखनवर के बाइस
कनखियों से मुझे घूर कर क्या देखा उसने
दिल हो गया बिस्मिल तेगे-नजर के बाइस
जर्फ़ वालों की कसौटी से निकला है जूमला
इश्क रोशन है यारों सितमगर के बाइस
बाप होने का हक अदा, यूं किया उसने
हो गया नीलाम लख्ते-जिगर के बाइस
आवारगी ने तो कोई कमी ना छोड़ी बेचैन
मगर ना हो सके आवारा घर के बाइस
मुरीद= प्रशंसक
बाइस=कारण
शैदा =आशिक
शजर = पेड़
बज्मे-सुखनवर= कवि सम्मेलन
जर्फ़=श्रेष्ठ,
कसौटी =अनुभव
लख्ते-जिगर= दिल का टुकड़ा ,
बिस्मिल= घायल
तेगे-नजर= निगाहों की तलवार
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