Friends

Monday, 15 June 2015

जरूरत बड़े से बड़े को भी झुका देती है


जिंदगी भरम का जब पर्दा उठा देती है
जरूरत बड़े से बड़े को भी झुका देती है  

मैंने देखी है संबधो की गहराई नापकर 
उम्मीदों का मज़बूरी बहम मिटा देती है 

सदा रखना चाहिए याद चुगलखोरों को 
इक जरा सी चिंगारी आग लगा देती है 

रिश्तो की फ़ौज भी उतना दे नही सकती 
जितना प्यार औलाद को एक माँ देती है 

यकीन नही होता जिनको खुदी पर बेचैन 
उन सवारों को कश्तियाँ खुद डूबा देती है 















Saturday, 13 June 2015

उसूलो की बात तो करना बहुत आसान है

उसूलो की बात तो करना बहुत आसान है
निभाओ तो जानो खुद में कितनी जान है

अपनी बर्बादी की झूठी खबर फैलाकर देखे
अपनेपन का रिश्तेदारो पर जिसे गुमान है

यकीं है मेरे वज़ूद पर तो चली आ मंज़िल
मेरा बंद गली में एक कच्चा सा मकान है

बात तो जब है जब जनून को दिशा मिले
वरना तो हर सख्स के सीने में तूफ़ान है

नादान ना-समझ जिसे अहसास बोलते है
उसी वजह सैकड़ो जिंदगानियां हलकान है

अपनी दिक़्क़तों पर इतना दुखी मत होवो
हर सख्स किसी न किसी कारण परेशान है

हर शै से भारी बोझ है जेब का खाली होना
मन बेचैन हलका रखना पैसे को वरदान है


Wednesday, 10 June 2015

मुमकिन नही कामयाबी बुरे दौर के बिना



ज़िंदगी खामोश है ख्वाबो के शोर के बिना 
मुमकिन नही कामयाबी बुरे दौर के बिना

अपने जहन में बिठा लो ये बात नौजवानो 
बशर कुछ भी नही साहस की डोर के बिना 

तू फ़िज़ूल बहस मत कर दिल के चौकीदार 
चोरी हो नही सकती कही भी चोर के बिना 

मालूम है अंधेरो को इसलिए तो गरूर में है 
दिन निकल नही सकता कभी भोर के बिना 

जहाँ भर की ख़ाक छानकर मैं लौट आता हूँ 
दिल लगता नही बेचैन मेरा इंदौर के बिना 


Sunday, 7 June 2015

तीन पैग तक तो उदासी महबूबा को बुलाती है

तीन पैग तक तो उदासी महबूबा को बुलाती है
उसके बाद केवल दिवंगत माँ की याद आती है

हदें पहचानते है मेरे पीने की शहर के ठेकेदार
इसलिए तो मयखानों में पर्चियां चल जाती है

शराबखोरी से मुझको बचपन से ही नफरत है
बोतल देखते ही रूह खत्म करो बुदबुदाती है

करोड़ो का कर्ज़ा मगर फिर भी मौज मस्तियाँ
समझ नही पाया कुछ लोगो की कैसी छाती है

किस मंडी में ले जाऊं अपनी बेबसी के गुलाब
यहाँ हर दुकान से खुदगर्ज़ी की बू ही बू आती है

ख़ुदकुशी की कोशिश वज़ूद ने कई बार की है पर
मेरे संस्कारो की सीख अक्सर आड़े आ जाती है

दीदार की भूख ने जिनको भिखारी बना दिया है
वो जानते है रूह अनाज नही अहसास खाती है

कही और जाकर बोलता है मेरी रगो का नशा
बेचैन तन्हाईयाँ मेरी इसीलिए तो मुस्कुराती है 

रूह की बुनियाद हिला देगी ये लम्बी उदासी

तू सचमुच जुड़ा है गर मेरी जिंदगी के साथ
तो कबूल कर मुझको मेरी हर कमी के साथ

रूह की बुनियाद हिला देगी ये लम्बी उदासी
हमेशा मत रहा कर आँखों की नमी के साथ

इससे ज्यादा यकीं बाप क्या करे रिश्तो पर
बेटी विदा कर देता है एक अजनबी के साथ

बाऊं जी मरने से पहले मुझे बताकर गए थे
समय शतरंज खेलता है हर आदमी के साथ

परेशान मत हो बेचैन इश्क और तिज़ारत में
जीते जी पेश आती है दिक्क़ते सभी के साथ







Saturday, 6 June 2015

सचमुच मैगी जैसी ही तो थी उसकी महोब्बत

सचमुच मैगी जैसी ही तो थी उसकी महोब्बत
कैरियर की सेहत जिसने बिगाड़ी बरसो तक

मौके हज़ार दिए उसके मिजाज ने हकीकत के
मगर रहे हम भी अनाड़ी के अनाड़ी बरसो तक

जिस रुट पर हो हर एक जंक्शन जफ़ाओ का
कोई कितना खींचे वफ़ा की गाडी बरसो तक

सरकार-ओ-मौसम की साज़िश ने खदेड़ दिया
वरना खूब की थी हमने खेतीबाड़ी बरसो तक

जिम्मेदारियों ने घेर लिया हमको हरसू वरना
हम भी रहे है अहसास के खिलाड़ी बरसो तक

कैसे भूल पायेगा खंडहर जिंदगानी का बेचैन
जिसने ईंटे मेरे भरोसे की उखाड़ी बरसो तक 

पेड़ के जैसी जिंदगी किरदार में लाओ दोस्तों



हर साल अपना जन्मदिन यूं मनाओ दोस्तों
कम से कम एक पौधा जरूर लगाओ दोस्तों

सब आने वाली पीढ़िया सेहतमंद हो जाएगी
पेड़ के जैसी जिंदगी किरदार में लाओ दोस्तों

शौक है अगर गाड़ियां छाँव में खड़ी करने का
सूख रहे पेड़ पौधों तक पानी पहुँचाओ दोस्तों

हुआ हरा भरा पर्यावरण तो पंछी दुआएं देंगे
इसलिए कहता हूँ दुआ मत ठुकराओ दोस्तों

बेशक तुलसी लगा लो तुम आँगन में बेचैन
जंगली झाड़ यानी केक्टस मत उगाओ दोस्तों 

Friday, 5 June 2015

जब भी अपनी जड़ो से कोई पेड़ दूर हो जाता है

जब भी अपनी जड़ो से कोई पेड़ दूर हो जाता है
शाख का हर पत्ता सूखने पर मज़बूर हो जाता है

सबसे पहले माँ बाप की निगाहो में खटकता है
अपनी जवानी पर जब बेटे को गरूर हो जाता है

किसी वक्त भी कर सकती है गलतफहमी वार
दो लोगो के बीच प्यार जब भरपूर हो जाता है

हार न माने जिद्द पर अड़ा रहे अगर मेहनतकश
फिर मुकदर को भी दोस्त सब मंज़ूर हो जाता है

छोड़ ही देना चाहिए उनको उनके हाल पर बेचैन
जिनके दिमाग में बे वजह का फ़ितूर हो जाता है




Wednesday, 3 June 2015

पकड़ी जानी थी कभी तो कलाकारी उसकी








अव्वल तो कुछ हम दोनों के बीच था ही नही
कुछ था तो उसे समेट ले गई हुश्यारी उसकी

जबकि दोस्ती में ही इतनी तकलीफ दे गया
फिर क्या करता मैं पाकर रिश्तेदारी उसकी

फिल्म दो घंटे की होती है दो साल की नही
पकड़ी जानी थी कभी तो कलाकारी उसकी

तज़ुर्बो की फेहरिस्त में ये तज़ुर्बा और सही
ना हज़म हुई ना भुला सकूँगा यारी उसकी

मेरी सादा मिजाजी से कही मेल नही खाती
आदतें समझ गया हूँ मैं बेचैन सारी उसकी 

असमंजस का दौर है और मैं आहे भर रहा हूँ

इन दिनों दर्द की तलहटी से होके गुज़र रहा हूँ
नमालूम मैं बिखर रहा हूँ या की निखर रहा हूँ

मंज़िल मेरे करीब है या मेरे बहम का कोहरा
असमंजस का दौर है और मैं आहे भर रहा हूँ

फिर भी शक भरी निगाहो से लोग देख रहे है
जबकि ईमानदारी से अपना कर्म कर रहा हूँ

शोहरत जान ना ले कही मज़दूर का बेटा हूँ
मददगारों के साथ से इसलिए भी डर रहा हूँ

अजीब सा धोखा है जीने की आरज़ू में बेचैन
रोजाना एक दिन का हिसाब करके मर रहा हूँ

आदतें समझ गया हूँ मैं बेचैन सारी उसकी

अव्वल तो कुछ हम दोनों के बीच था ही नही
कुछ था तो उसे समेट ले गई हुश्यारी उसकी

जबकि दोस्ती में ही इतनी तकलीफ दे गया
फिर क्या करता मैं पाकर रिश्तेदारी उसकी

फिल्म दो घंटे की होती है दो साल की नही
पकड़ी जानी थी कभी तो कलाकारी उसकी

तज़ुर्बो की फेहरिस्त में ये तज़ुर्बा और सही
ना हज़म हुई ना भुला सकूँगा यारी उसकी

मेरी सादा मिजाजी से कही मेल नही खाती
आदतें समझ गया हूँ मैं बेचैन सारी उसकी

Monday, 1 June 2015

ढल जाएगी एक दिन जिंदगी ख़ाक में

दो जून की रोटी कमाने की फिराक में
ढल जाएगी एक दिन जिंदगी ख़ाक में

रिश्ता कोई भी हो तार रूह से जुड़ते है
अहसास को कोई भी ना ले मज़ाक में

लब्ज़ो की धमक दिमाग से टकराती है
बोलता है जो भी कोई आदमी नाक में

उफ़ तरक्की में डूबे नए युग के हादसे
गिद्ध की तरह रहते है हरदम ताक में

सब हर्फो की जादूगरी है वरना बेचैन
कोई फर्क नही बेशर्म और बेवाक में

Friday, 29 May 2015

कभी हरियाणा में आ प्यार सिखाऊंगा तुझे

मर्दानी मह्बूबाओ से रूबरू करवाऊंगा तुझे
कभी हरियाणा में आ प्यार सिखाऊंगा तुझे

स्वीट डिश की परिभाषा समझ आ जाएगी
गुलगुले माँ के बनाये जब खिलाऊंगा तुझे

इश्क में सबकुछ जायज़ यहाँ क्यूँ नही होता
मर्यादाओ की एक फेहरिस्त दिखाऊंगा तुझे

लट्ठ गड़ने के पीछे जो दास्ताँ है मेरी जान
किसी रोज फुरसत में वो भी सुनाऊंगा तुझे

हरियाणवी पॉप जिसने मुंबई में भी बजवाया
आ उस के डी सिंगर से भी मिलवाऊंगा तुझे

ना मुराद को संदेश इतना है बस मेरी ओर से
मैं तो मरने के बाद भी मेरी जान चाहूंगा तुझे

जब तक नही सुलझती उलझने जिंदगानी की
बेचैन शायद ही अपना वक्त भी दे पाऊंगा तुझे

















Thursday, 28 May 2015

अगले जन्म देखूँगा बकाया प्यार के कसमे वादों को

अगले जन्म देखूँगा बकाया प्यार के कसमे वादों को
फिलहाल जानने में उलझा हूँ मैं जिंदगी के इरादों को

बे- इज़ाज़त बे-मतलब कही पर भी तो चली आती है
सोच में रहता हूँ मैं दिन भर गोली मार दूँ यादों को

सामने वाले को खुद जैसा समझने की खता करते है
लोग इसलिए सताया करते है मासूम शरीफजादो को

मेरे सामने पैरवी शराफत की कोई न करे तो अच्छा है
मैं पिंघलते देख चूका हूँ  न जाने कितने फौलादो को

मुझमे इक यही बस सबसे बड़ी खामी छिपी है बेचैन
चाहते हुवे भी दबा नही पाता अहसास के उन्मादों को

Monday, 25 May 2015

चूजे अन्डो से निकलते ही उड़ान रखने लगे है

उफ़..अपनी उम्र से बढ़कर ज्ञान रखने लगे है
चूजे अन्डो से निकलते ही उड़ान रखने लगे है

क्या ऐसी तैसी करवाये तज़ुर्बो में लिपटे लोग
गली गली में नौसिखिये पहचान रखने लगे है

जो ज्ञान कच्ची उम्र में खतरे से खाली नही है
बच्चे उन्ही बातों पर अपने कान रखने लगे है

दो लोगो ने मोहल्ले भर में तारीफ़ क्या कर दी
सीखना छोड़ कई लोग योगदान रखने लगे है

उम्रदराज अपने महबूब को क्या कहेगा बेचैन
जब बच्चियों का नाम बच्चे जान रखने लगे है







Wednesday, 20 May 2015

कुत्ते भोकते रहते है हाथी निकल जाते है

मोबाइल हो या रिश्ते नेटवर्क लाज़मी है
वरना लोग गेम खेलना शुरू हो जाते है

नए युग के अहसास का इतना टोटल है
लोग हालात तोलने के बाद बतियाते है

जो भुगतभोगी है वो अच्छे से जानते है
कलाकारों के खेमे कैसे जलवे दिखाते है

लाख मीठा बोले लेकिन पकड़े ही जाते है
जो तल्ख़िया को अपने मन में छिपाते है

बरपते हंगामे पर बेचैन इतना ही कहूँगा
कुत्ते भोकते रहते है हाथी निकल जाते है


Sunday, 17 May 2015

मुझे जानते है वो जिनकी आँखों में शर्म है

उनकी तादाद में दम है मेरे जज्बे में दम है
अब देखना है ईमानदारी किस ओर कम है

कोरी हवाबाजी से मंज़िल पा लेंगे एक दिन
पैसा फूंकने वालो को ना जाने क्यूँ भरम है

तंज़ सुनकर मैं इसलिए निराश नही होता
मुझे जानते है वो जिनकी आँखों में शर्म है

ये परेशानिया ये दिक्क़ते ये बेवजह तनाव
कहो किसकी जिंदगी में नही पेचो खम है

साज़िसे मेरा कुछ भी बिगाड़ नही सकती
दोस्तों जब तक मेरे इन हाथों में कलम है

आखरी सांस तक फिर भी लड़ूंगा वक्त से
जबकि जानता हूँ मेरी परिस्थियाँ विषम है

जिन्हे होना चाहिए संग वही साथ नही है
यही सोचकर बेचैन आँखे थोड़ी सी नम है






नेता नादानों की भीड़ से प्रोफाइल बनाते है

वो जो सियासत में अपना हुनर दिखाते है 
सब कलाकारों से लोग उन्हें बड़ा बताते है 


थोड़ा सा सावधान रहना अक्लमंद दोस्तों 
नेता नादानों की भीड़ से प्रोफाइल बनाते है 

सड़क के साइन बोर्ड की लिखावट झूठ नही 
इक जरा सी चूक होते ही हादसे हो जाते है 

कटी उंगली के दर्द का जिन्हे अहसास नही 
वो हार्ट आपरेशन के गज़ब नुस्खे सुझाते है 

मुझको अफ़सोस है तो बस इतना है बेचैन 
कुछ बड़े बुज़ुर्ग कुछ बच्चों को बरगलाते है  











Saturday, 16 May 2015

कुछ रिश्तों को इस जन्म में फिर नही मिलूंगा

जब से भीड़ बढ़ी है यारो की तन्हा हो गया हूँ
जैसे ज़ख्मी अहसास के रूबरू खड़ा हो गया हूँ

नामालूम कैसी कसक है नए युग के रिश्तों में
सोच सोचकर मन में ही पागल सा हो गया हूँ

साया माँ बाप का जिस रोज से उठा है सर से
दरअसल उसी रोज से मैं कुछ बड़ा हो गया हूँ

मिली है जिस रोज से अच्छे लोगो की सोहबत
जियादा नही थोड़ा बहुत मैं भी भला हो गया हूँ

कुछ रिश्तों को इस जन्म में फिर नही मिलूंगा
बेचैन उनके खातिर मैं सचमुच फना हो गया हूँ

Friday, 8 May 2015

प्यार में वफ़ा ज्यादा गज़ब की अच्छी बात नही

हरेक वक्त दीवानगी मज़हब की अच्छी बात नही
खिल्ली उड़ाना किसी के रब की अच्छी बात नही

ईमानदारी के चक्कर में मुह की खानी पड़ती है
प्यार में वफ़ा ज्यादा गज़ब की अच्छी बात नही

शेर को सवा शेर ही टकराये है इतिहास गवाह है
हर बात पे टाँगे खींचना सबकी अच्छी बात नही 

कमी है तो बता वरना उसे वक्त जरूर बताएगा
कलाकार को देना झूठी थपकी अच्छी बात नही

मस्ती खोदकर जड़ो को उनमे आलस भर देगी
बेचैन आदत ये रोजाना पब की अच्छी बात नही