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Sunday, 22 April 2012

तू फसा तो बताऊंगा क्या चीज़ हूँ साले


मुझे इश्क की सूली पर लटकाने वाले
तू फसा तो बताऊंगा क्या चीज़ हूँ साले

हरेक नौजवान से है यही दरखास्त मेरी
कोई जानबूझ कर प्यार का पंगा ना ले

हर चीज़ में दिखती हो जब सूरत उसकी
खाना तक भी ऐसे में कोई कैसे खा ले

सच्ची महोब्बत है और वो नाराज तुझसे
अगर माँ का दूध पीया है तो मुस्कुरा ले

बार बार यही गुजारिस करता है बेचैन
दीवानगी किसी की कोई मजाक में ना ले

Thursday, 19 April 2012

मेरे ख्वाबो की परवाज हो तुम


मेरे ख्वाबो की परवाज हो तुम
जिंदगी किसलिए नाराज हो तुम

गुज़रा वक्त तो मुझे भी याद नही
मगर मेरा कल और आज हो तुम

मैं बेशक शाहशाह नही हूँ मगर
याद रखना मेरी मुमताज़ हो तुम

बिन तेरे मर जाऊंगा तडफ कर
मेरे दर्दे दिल का इलाज़ हो तुम

पाप मन का तेरे आगे रख दिया
मेरी उम्र भर का हमराज हो तुम

इक तेरे ही तो दम पर गूंज है
मेरी जुबां मेरी आवाज़ हो तुम

नही है कोई तुझ जैसा जहाँ में
बेचैन कर दे वो अंदाज़ हो तुम

Friday, 23 March 2012

खुदा और बढ़ाए नूर तेरे रुखसार का

ना कम हो कभी गुलाबी रंग बहार का
खुदा और बढ़ाए नूर तेरे रुखसार का

पड़ते रहे हमेशा हंसते वक्त डिम्पल
यूं ही जले जी तुझे देखकर गुलज़ार का

हर दुआ के बाद यह दुआ मांगता हूँ
शकून मिले तुझको सारे संसार का

बस इतनी सी है उम्मीद शायरी से
असर हो उसपे किसी भी अशआर का


इश्क ने यही तो सीखाया है बेचैन
दिल देना खेल ही समझो दिलदार का

Thursday, 22 March 2012

माता रानी सबको फल दे

माता रानी सबको फल दे
आज नही तो चाहे कल दे

देखकर के खुशियाँ आपकी
गम चुपचाप उठकर चल दे

सौ फीसदी शोहरत मिलेगी
आप चढ़ते सूरज को जल दे

कुछ मत देना जान मुझे पर
रोज कलम को एक गजल दे

माँ मैं बेशक बेचैन रहू
उसके माथे पर ना बल दे

अच्छा नही है इंसान का बाज़ होना

इक शख्स से मुझको बदला लेना है
कोई तो सीखा दे मुझे नाराज होना

रिश्तो पर नजर तो रखे मगर हद में
अच्छा नही है इंसान का बाज़ होना

जमाने की तरह दे दूं धोखा मगर
मैं चाहता ही नही दगाबाज़ होना

सब दौलत के ही बूते की बात है
कौन सी महाभारत है ताज होना 

बता कैसे होगा कल वो सब बेचैन
जो तकदीर में लिखा है आज होना

Tuesday, 20 March 2012

मगर मुझे तुम्हारी आँखों में तन्हाई नजर आई

 देखने वालों को झील सी गहराई नजर आई
मगर मुझे तुम्हारी आँखों में तन्हाई नजर आई

चाहकर भी नही लिख पाया अशआर कोई झूठा
वरना कह सकता था आँखे सुरमाई नजर आई

हां बड़े से बड़े दर्द छुपा सकती है पलकों तले
इस मामले में आँखें करिश्माई नजर आई

बुलंदी तेरे हौसलों की मालूम हुई जब से
तुझसे रश्क रखती तुम्हारी असनाई नजर आई

बताओ क्यूं रखेगा दुनिया से वास्ता बेचैन
तेरी आँखों में ही जब उसे खुदाई नजर आई

Monday, 19 March 2012

आशिक ही नही रास्ते भी शुक्रिया जताते है

तुम्हारी जुल्फों के जो तार बंध नही पाते है
मेरे अरमां है वो जो हवा में लहराते है

मैं तो दूर हूँ कर लूँगा किसी तरह से सब्र
उनका क्या जो तुम्हे रोज देख पछताते है

नही दिखता जहाँ में कोई तुम जैसा दूसरा
हमसे हुस्न के रोजाना कारवां टकराते है

मुस्कुराते हुवे आप जिधर से भी गुजर जाते है
आशिक ही नही रास्ते भी शुक्रिया जताते है


इस जन्म में तुझे पाना कोरा ख्वाब है बेचैन
तेरी तस्वीर देख यूं आंसू निकल आते है

Friday, 16 March 2012

दिल का फिर रोज हिसाब दूं कितनी दफा



एक ही सवाल का मैं जवाब दूं कितनी दफा
बता जिंदगी तुझे मैं ख्वाब दूं कितनी दफा

जिद छोड़ दे बिन बात परेशान होने की
तुझे खुश रखने को गुलाब दूं कितनी दफा

हो सके तो मेरा बन जा सदा के लिए
तुझको वास्ता-ए-सवाब दूं कितनी दफा

तू जानता है मैं रती भर भी बेईमान नही
दिल का फिर रोज हिसाब दूं कितनी दफा

तू समझदार है चल तू ही बता दे आज
बेचैन आँखों को मैं आब दू कितनी दफा

Thursday, 15 March 2012

जिंदगी यूं ही रख आगोश में अपने

मैं जब तलक ना आऊँ होश में अपने
जिंदगी यूं ही रख आगोश में अपने

तूफां में ज्यादा देर ना ठहरने का
कभी मलाल न जुड़े अफ़सोस में अपने

गुफ्तगू का सिलसिला जारी रहे सदा
हरगिज़ ना कमी आये जोश में अपने

तेरी जुस्तजू को जिसकी भी तलाश है
वो सब कुछ पाओगे सरफरोश में अपने

इसलिए रहता हूँ बेचैन हर घड़ी
तुझे रखता हूँ दिल की खरोस में अपने

 

Tuesday, 13 March 2012

लोग शैदा होते है वरना जर के बाईस

वो मुरीद है मेरा मेरे हुनर के बाईस
लोग शैदा होते है वरना जर के बाईस

कबका भूल गया होता घर गाँव का लेकिन
इक पहचान बाकि है सूखे शजर के बाईस

मैं सह नही सकता नशा नींद का लेकिन
रातों जाग सकता हूँ बज्मे सुखनवर के बाईस

कनखियों से घूरकर मुझे क्या देखा तुमने
दिल हो गया बिस्मिल तेगे नजर के बाईस

जर्फ़ वालों की कसौटी से निकला है जुमला
इश्क रोशन है यारों सितमगर के बाईस

बाप होने का हक अदा यूं किया उसने
हो गया नीलाम लख्ते-जिगर के बाईस

आवारगी ने तो कोई कमी न छोड़ी मगर
न हो सका आवारा बेचैन घर  के बाईस

मुरीद=प्रसंशक, बाईस = कारण, शैदा- आशिक ,,जर=धन ,,,शजर- पेड़,,..बज्मे सुखनवर= कवि सम्मेलन ,,,,बिस्मिल= घायल ...तेगे नजर=निगाहों की तलवार....जर्फ़=श्रेष्ठ ....कसोटी=अनुभव ...लख्ते जिगर= दिल का टुकडा























Monday, 12 March 2012

तुम परी हो अंधा भी पहचान लेगा

मैं क्या छोटा बच्चा भी मान लेगा
तुम परी हो अंधा भी पहचान लेगा

सजधज कर कभी बाहर ना निकलना
वरना गाँव पटाने की ठान लेगा

मेरी हंसी पर भी शक जताता है
ज़ालिम तू कितने इंतिहान लेगा

तुझे खुदा से भी बड़ा बना दूंगा 
ज़माना मेरा जब भी बयान लेगा

बस यूं ही बेचैन होकर पूछ रहा हूँ
क्या प्यार में तू मेरी जान लेगा


Sunday, 11 March 2012

बोलो ॐ जय मह्बूबाये





ॐ जय महबूबाये,बोलो ॐ जय मह्बूबाये
प्यार करे जो भी तुझसे, उसपे ना कष्ट आये.......ॐ जय.........

जो ध्यावे तुझे दिल से,उसको प्यार मिले...जानू उसको प्यार मिले...
सोचते ही तुम हो प्रकट ना इंतजार मिले ......ॐ जय.........

सब रिश्तों से बढ़कर तुझे आशिक माने...जानू तुझे आशिक माने
हाय दर दर तुझको ढूंढे तेरे ये दीवाने .......ॐ जय........

तुम हो दिल की धडकन.तुम सांसों में बहते ,,,जानू तुम सांसो में बहते
तुम बिन और ना दूजा मेरे आंसू कहते .......ॐ जय........

तुमको पाकर मैं हंसता तुम्हे खोकर रोऊ,,,जानू तुम्हे खोकर रोऊ,,,
तेरे ही सपनों ने घेरा है जब जब मैं सोऊ.......ॐ जय........

तुम लैला जूलियट और तुम हो हीर मेरी ..जानू तुम हो हीर मेरी...
तुम चाहोगी वही होगा कहे तकदीर मेरी .......ॐ जय........

श्रद्धा भक्ति बनी रहे तेरे प्रति मेरी ..जानू तेरे प्रति मेरी....
सारे भाड़ में जाए रहे ठंडी नजर तेरी .......ॐ जय........

जो महबूबा की आरती सुबहा शाम गाये .,,.यारों सुबह शाम गाये
बेचैन जुदाई की नागिन उसे ना डस पाए .......ॐ जय........




निकल जाएगी बच्चे की जान बेटा

निकल जाएगी बच्चे की जान बेटा
मत ले मेरे और इंतिहान बेटा

रूबरू नही ख्वाब में ही मिला कर
तू मेरा कोई तो कहा मान बेटा

देख कही हाथ में ही ना आ जाये
मेरे मत खींच इतने कान बेटा

देकर दर्दे दिल जोर से हंसता है
मत बनो इतना भी शैतान बेटा

बता मैं तुझे छोड़कर कहाँ जाऊंगा
तू है मेरा धरती आसमान बेटा

तुम पर लिख दी गजल बेचैन होकर
बता अब कोई अच्छा सा उन्वान बेटा

निकल जाएगी बच्चे की जान बेटा

निकल जाएगी बच्चे की जान बेटा
मत ले मेरे और इंतिहान बेटा

रूबरू नही ख्वाब में ही मिला कर
तू मेरा कोई तो कहा मान बेटा

देख कही हाथ में ही ना आ जाये
मेरे मत खींच इतने कान बेटा

देकर दर्दे दिल जोर से हंसता है
मत बनो इतना भी शैतान बेटा

बता मैं तुझे छोड़कर कहाँ जाऊंगा
तू है मेरा धरती आसमान बेटा

तुम पर लिख दी गजल बेचैन होकर
बता अब कोई अच्छा सा उन्वान बेटा

Saturday, 10 March 2012

गर तेरी आँख का इशारा हो जाए

गर तेरी आँख का इशारा हो जाए
इस गरीब का भी गुज़ारा हो जाए

ना करूं जिस पल तेरा शुक्रिया जिंदगी
मेरा सांसों से ही किनारा हो जाए

आजमाकर तो देख यह जादू भी होगा
बस सोचते ही कोई तुम्हारा हो जाए

नदियाँ गर अपनी जिद पर उतर आयें
क्या मजाल समन्दर खारा हो जाये

वो चाहेगा तो हो सकता है बेचैन
तू भी उसे सबसे प्यारा हो जाए

Thursday, 8 March 2012

अबके होली पर वो इक काम कर लीजिये

यारों के जो यार है इश्क के बीमार है
अबके होली पर वो इक काम कर लीजिये

पास है महबूब जिनके प्यार से वो चूमे माथा
दूर है तो फोन पर सलाम कर लीजिये

बीवी प्यार देगी नई बनके दुल्हनिया
उसके लिए एटीम नीलाम कर लीजिये

कभी कभी पीने का शौक जिस साहब को
उसे फाग वाले दिन खुलेआम कर लीजिये

तुम रहोगे बेचैन कोई चर्चा तक ना होगी
खुद को थोड़ा थोडा बदनाम कर लीजिये

बता तो क्या बोलू तुझे मैं आज जिंदगी

तलाश रहा हूँ सुबह से अल्फाज़ जिंदगी
बता तो क्या बोलू तुझे मैं आज जिंदगी

तेरी कसम बहुत रोता फाग के दिन मैं
बात नही करती गर तू आज जिंदगी

मुझे किस्मत बेशक शहनशा ना बनाये
मगर तुझे बोलता हूँ मुमताज़ ज़िदगी

हाँ पहले भी साँस के साथ बोला है
लव यूं फिर से बोलता हूँ आज जिंदगी

जो तुझे सुहाएगा वो गीत गाऊंगा
तू बजा कर देख कोई भी साज जिंदगी

तेरे रुठते ही बेचैन हो जाता हूँ
मुझपे गिरती है जोर से गाज जिंदगी

Friday, 2 March 2012

तू जियादा दिन तडफायेगा मुझे विश्वास नही होता

तू मेरे बिना रह पायेगा मुझे विश्वास नही होता
कभी लौटकर नही आएगा मुझे विश्वास नही होता

पहला वादा तुम्हारा ही था सदा साथ रहने का
तू वादे से डगमगाएगा मुझे विश्वास नही होता

बात बात पर खुश रहने की सलाह देने वाले
तू जियादा दिन तडफायेगा मुझे विश्वास नही होता

मैं बच्चे की तरह रो रहा हूँ तुम्हारी जिद करके
तू आकर नही समझाएगा मुझे विश्वास नही होता

खुदा से भी बढ़कर जिसे मैंने चाहा है बेचैन
मेरा विश्वास तोड़ जाएगा मुझे विश्वास नही होता


बता क्यूं मेरा प्यार तुझे बेदम नजर आया

समन्दर और आसमान भी कम नजर आया
बता क्यूं मेरा प्यार तुझे बेदम नजर आया

क्या ख़ाक करू सोचा विचारी लेकर तुझको
तेरी हर बात में मुझको भरम नजर आया

मैं तो आशिक था दीवानगी कैसे छोड़ता
वही किया जो मुझे मेरा करम नजर आया

जिस सलीके से ले गया मुझे मौत के करीब
बुरा मत मानना तू मानव बम नजर आया

यही जान पाया तुझसे प्यार करके बेचैन
जुल्फों के साथ सोच मे भी खम नजर आया

Thursday, 1 March 2012

जब पंजाबी की एक महान लेखिका की कविता को पढ़ा तो मेरे भीतर का दर्द भी यूं बोल उठा,,,,,

,,,

मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,,
मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा
शायद तेरे स्वभाव की चिढ बनके,,
तेरे सामने आऊंगा,,
या एक अनजाना सा रहस्मय सूनापन बनके
हर वक्त तेरे साथ रहूँगा और तुझे तकता रहूँगा,,
तुझे लगेगा भी की मैं हूँ मगर दिखाई नही दूंगा,,,,,
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
या सूरज की रौशनी बनके ,,
चाँद की चांदनी बनके तेरे आंगन में उतरूंगा
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
या तेरा बेटा बनके तेरे कलेजे की ठंडक के रूप में
जब जब अपने बेटे को प्यार करोगी
उसकी खिलखिलाहट और रोने में अपना अक्स लेकर
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं और कुछ नही जानता
मगर इतना जानता हूँ वक्त जो भी करेगा
मेरा ये जन्म तुम्हारे साथ चलेगा,,,,,
मेरा जिस्म खत्म होता है तो सौ बार हो जाए,,,
मगर अहसास की गर्मी बनकर सदा तुम्हारी आहों में बसूँगा,,
जब भी तन्हा बैठोगी अश्क बनकर
 तुम्हारी आंख में झाँकने लगूंगा,,
जब भी हंसोगी,,,,मेरी बेबसी तुम्हारे सामने आ जायेगी,,,
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................