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Friday, 10 August 2012

उनसे की उम्मीदे सारी समेटता चलूँ

आह,तडफ और बेकरारी समेटता चलूँ
उनसे की उम्मीदे सारी समेटता चलूँ

आज के बाद शायद हो इस राह से गुजर
सफर की हर एक यादगारी समेटता चलूँ

बहुत करवा चुका खराब मिटटी जज्बात की 
गिले-शिकवो की रेजगारी समेटता चलूँ

आने वाली पीढ़ियों को ना लगे ये रोग
मैं क्यूं ना इश्क की बिमारी समेटता चलूँ

जोडकर प्यार की नकदी का हिसाब बेचैन
कसमें-वादों की उधारी समेटता चलूँ

Wednesday, 8 August 2012

धन्यावाद, मुझको कब्र तक छोड़कर जाने वालो

मैं ही जानता हूँ कितना खारा है यह पानी
शराबी -शराबी कहकर मुझे सताने वालो

मयकशी अचूक दवा होती है दर्दे जिगर की
सम्भलो,डाक्टरों से खुद को लुटवाने वालो

आगे का सफर अकेला ही तय कर लूँगा मैं
धन्यावाद, मुझको कब्र तक छोड़कर जाने वालो

तुम उसके भी तो कान खींचों जाकर किसी दिन
महोब्बत में मुझको ही सही गलत समझाने वालो

अब तो देख कर मुझे उड़ा लो कितनी ही हंसी
कभी होश में आया तो पूछूंगा जमाने वालो

किसी और का गुस्सा बोतल पर उतरा करेगा
अब तुम्हारी खैर नही है मयखाने वालो

गलतफहमी के शिकार हो जाओगे बेचैन
महबूब से हर बात का जिक्र उठाने वालो

Friday, 3 August 2012

ना मालूम था यूं गुज़ेगी हमपे अब की साल यारों

इश्क ने हमसे सब कुछ लूटा कर डाले कंगाल यारों
ना मालूम था यूं गुज़ेगी हमपे अब की साल यारों

आँख में आंसू आहें लबों पर दिल में धुंआ सा उठता है
बेबस है बस जीने को और मरना हुआ है मुहाल यारो

ख्वाब दिखाए थे जो उसने सबके सब वो फर्जी थे
रोज पशेमा करते है अब मुझको मेरे ख्याल यारो

जो पाक महोल्ब्ब्त करते है वो खून के आंसू रोते है
कोई नही करता है उनकी आज के दिन सम्भाल यारो

चैन गंवाकर ही सीखा है हमने महोब्बत में बेचैन
अच्छी सूरत वाले ही तो बनते है जी का जंजाल यारो

Wednesday, 1 August 2012

वो बहन मुझे राखी बांधे जिनका भाई नही है

 अभी रिश्तो में इतनी गिरावट आई नही है
वो बहन मुझे राखी बांधे जिनका भाई नही है

किसी की आँखों में देखू रक्षा बंधन पर आंसू
कम से कम मेरा ज़हन इतना तमाशाई नही है

हमारी ही कमी से है आज टोटा लडकियों का
इसमें कुदरत की कही से भी अगुआई नही है

सदा याद रखना बेटे की चाहत रखने वालों
बिना बेटी के मुक्ति देवो ने भी पाई नही है

महबूबा को परी कहने वालो सच सच बताओ
क्या बहन में बेचैन खूबसूरती समाई नही है



Tuesday, 31 July 2012

आज कोई भी रिश्ता बेजोड़ नही रहा

मन तो अपना कबका उड़ चुका बाकि
उसका अहसास है की छोड़ नही रहा

बकाया है इश्क की आखरी रिवायत
वो पूरी तरह से दिल तोड़ नही रहा

सोच क्या है किसी हद तक गिर सकती है
विचारो का आज कोई निचोड़ नही रहा

गुज़रा है ऐसी संकरी गलियों से जहन
जिंदगानी में अब ढंग का मोड़ नही रहा

तैयार है जवाब हर किसी का बेचैन
आज कोई भी रिश्ता बेजोड़ नही रहा

Monday, 30 July 2012

उसूलो के खिलाफ जाकर प्यार कर रहा हूँ

कुछ इस तरह से खुद को गुनेहगार कर रहा हूँ
उसूलो के खिलाफ जाकर प्यार कर रहा हूँ

मालूम है तेरा जिंदगी में आना नही मुमकिन
मैं फिर भी भरी आँखों से इंतजार कर रहा हूँ

सजाकर ख्वाबो ख्यालो की रोजाना एक दुनिया
मैं रूह को कभी जमीर को शर्मसार कर रहा हूँ

जफा-ओ-वफा जो देनी है सोच समझकर देना
मैं हद से जियादा तुझ पर एतबार कर रहा हूँ

तू महसूस कर सके तो कभी कर आकर बेचैन
मैं दर्द को आहों से हर पल गुलज़ार कर रहा हूँ

Saturday, 28 July 2012

आशिक तो दोस्तों हर हाल में पछताता है

वो प्यार के मसले पर जब भी बतियाता है
मुझे मेरे सवालों के साथ छोड़ जाता है

समझ नही पाया उसका अंदाज़े महोब्बत
खुद ही दर्द देकर खुद ही मरहम लगाता है

अहसास के मुसाफिर बाखूबी जानते है
कौन किसको जबरदस्ती खींचकरलाता है

हुआ बेबसी के हवाले तो इल्म हुआ भारी
आशिक तो दोस्तों हर हाल में पछताता है

अफ़सोस के दायरे में भी वही रहता है
जो रिश्तों पर ज्यादा उंगलिया उठाता है

मुझे गुस्सा भी अक्सर इसीलिए आता है
वो बात को गेंद सा गोल-गोल-घुमाता है

उसकी जुल्फें मेरे ज़ज्बात उलझे है
देखते है वक्त पहले किसको सुलझाता है

उतर तो जाता हूँ रोज यादों की नदी में
जबकि मुझे बेचैन तैरना नही आता है



Friday, 27 July 2012

हां सांसो की सबसे पहली हकदार हो तुम

मेरे दिल के थाने की थानेदार हो तुम
अब कितनी दफा समझाऊ मेरा प्यार हो तुम

जिद छोड़ भी दे बिना बात नाराज होने की
मेरी सबसे बड़ी जीत और हार हो तुम

मैं अक्स हूँ तुम्हारा कोई आशिक नही हूँ
कहो किस बात पर फिर इतना शर्मसार हो तुम

वक्त और किस्मत ने चाहा तो मिल जायेगे
वरना जन्म भर का मेरा इंतजार हो तुम

तुम ही लहू बनकर दौड़ रही हो रगों में
हां सांसो की सबसे पहली हकदार हो तुम

तेरी तस्वीर देख कर ही खिल उठता हूँ
सचमुच मेरे लिए मौसमे बहार हो तुम

नही है कोई तुझसा जमाने में बेचैन
बस अहसास में इसलिए गिरफ्तार हो तुम

Tuesday, 24 July 2012

हमने अनाज कम फरेब ज्यादा खाया है

वक्त के मारों ने तजुर्बे से बताया है
हमने अनाज कम फरेब ज्यादा खाया है

दोस्ती ही सम्भालती है बढ़कर आगे
खून के रिश्तों ने जब भी रंग दिखाया है

किसी के भी बस का नही होता जो इंसा
आखिरकार औलाद के काबू आया है

कामयाबी उससे सख्त नफरत करती है
अपने माँ बाप का जिसने दिल दुखाया है

मातम मनाकर अपनी बेबसी का पहले
गरीब ने बेटी का जब ब्याह रचाया है

आटे दाल का भाव तो उससे पूछिये
अपने बूते पर जिसने घर बसाया है

इश्क और-सियासत है उनकी बेचैन
चेहरे पर जिसने चेहरा चढाया है

Sunday, 22 July 2012

इक शक्स तो बताओ जिसे चैन हो यारो

एक काम की बात चलो सबको बताते है
दुश्मन होते नही है हम खुद ही बनाते है

खुद जैसा समझ लेते है सामने वाले को
बस सबसे बड़ी भूल हम यही कर जाते है

अक्सर रिश्तों से वही लोग मार खाते है
अपने शक को जो ओढ़ते और बिछाते है

कमबख्त वही बन जाते है नासूर दिल के
रो रोकर जिस पर भी अपना हक जताते है

इक शक्स तो बताओ जिसे चैन हो यारो
लोग बेकार ही मुझको  बेचैन बताते है

Saturday, 21 July 2012

अव्वल दर्जे की कलाकारी उसी में है

जमाने भर की समझदारी उसी में है
हमीं गद्दार है वफादारी उसी में है

यारों हम तो प्यार का नाटक कर रहे है
जैसे की संजीदगी सारी उसी में है

इश्क ने हमें तो जैसे अफसर बना दिया
मजबूरिया और लाचारी उसी में है

अपना तो जमीर शर्मिंदा है इक मुद्दत से
जैसे गैरत और खुद्दारी उसी में है

हम तो फिसड्डी है हरेक काम में बेचैन
अव्वल दर्जे की कलाकारी उसी में है

वो शायद मेरी हालत खराब में दिखता है

दिन भर ख्यालो में रात ख्वाब में दिखता है
पढने बैठता हूँ तो किताब में दिखता है

जब भी जाता हूँ टहलने गुलशन में यारो
नामुराद का चेहरा गुलाब में दिखता है

गम गलत करने को क्या ख़ाक जाऊ मयखाने
वो कमबख्त मुझको अब शराब में दिखता है

मुझे देख रहे है घूरकर इसीलिए लोग
वो शायद मेरी हालत खराब में दिखता है

आइना तू क्या बतायेगा राज की बात
यह सच है वो चश्मे- पुरआब में दिखता है

मैं या मेरा भगवान ही जानता है सब
वो कैसे ज़हन के इन्कलाब में दिखता है 

मैं हरेक बात का जिक्र अब क्या करू बेचैन
वो आहों के इक इक हिसाब में दिखता है

चश्मे- पुरआब=आंसूओ से भरी आँखे



Friday, 20 July 2012

तेरी ख़ुशी ही मेरी ख़ुशी है

दर्द है आंसू है बेबसी है
बेहद मजे में जिंदगी है

कहने को तो पास है सबकुछ
इक बस तुम्हारी ही कमी है

मेरे हालात पर ना जाना
तेरी ख़ुशी ही मेरी ख़ुशी है

तक रहा था तस्वीर तुम्हारी
इसलिए आँखों में नमी है

हो सके तो कर यकीं बेचैन
ये दिल्लगी नही दिल की लगी है

Thursday, 19 July 2012

क्यूं रोया मैं तेरे वास्ते ज़हन निचोड़ के

तुमने अच्छा नही किया मुझसे मुख मोड़ के
मैं रख रहा हूँ अपने ही दिल को तोड़ के

ढूंढें नही मिलूंगा तुझे आज के मैं बाद
गुमनामियों में जा रहा हूँ यादें ओढ़ के

सब मेरी ही भूल थी हां सब मेरा कसूर था
क्यूं रोया मैं तेरे वास्ते ज़हन निचोड़ के

और बातें सारी झूठी सच्ची एक बात
वो लौटते नही है जो जाते है छोड़ के

तेरी चाहतो से सौ गुना मैं प्यार दे चला
कभी देखना फुरसत में तू हिसाब जोड़ के

तन्हाइयों ने निगला है उनको ही दोस्तों
जो देखते नही कभी खुद को झंझोड़ के

तू खुद ही कर गया मुझे अपाहिज बेचैन
अब मुमकिन नही आऊँ तेरे पास दौड़ के

Sunday, 15 July 2012

अब दूर बैठे क्या समझाये ज़ज्बात क्या है

कोई हमें भी तो बताये मामलात क्या है
हंगामा बरप रहा है आखिर बात क्या है

दोस्ती से बढ़कर नही होता कोई रिश्ता
फिर महबूबाओ की कहिये औकात क्या है

वो पास होता तो समझाता बारीकी सी
अब दूर बैठे क्या समझाये ज़ज्बात क्या है

मुफलिसों को टका सा जवाब देने वालों
पहले यह तो पूछ लो तुमसे सवालात क्या है

रोज लुटती आबरू देख कर कोई तो बताये
बेबस के लिए शहर क्या है जंगलात क्या है

बरसों बाद मिलने का करार देने वाले
बता तो सही साल महीने दिन लम्हात क्या है

रूबरू नही तो कम से कम ख्वाब में ही बोल
बेचैन को लेकर तेरे ख्यालात क्या है

मैं भी हूँ जिंदगी तो गुजारो मुझे

अक्स हूँ मैं तुम्हारा विचारो मुझे
जिंदा रहने दो या फिर मारो मुझे

दब ना जाऊ कही वक्त की रेत में
मौका है जानम तुम संवारों मुझे

कर चुका एलान जान हो तुम मेरी
मैं भी हूँ जिंदगी तो गुजारो मुझे

तुझको मैं दे रहा हूँ कब से सदा
अनसुना मत करो तुम पुकारों मुझे

प्यार हूँ या बला सोच लो बैठ कर
कुछ तो पहचान दो तुम यारो मुझे

चीखकर कह रही है मेरी बेबसी
गलत हूँ मैं अगर तो सुधारो मुझे

चैन मरकर भी बेचैन ना आएगा
कर्ज़ हूँ मैं तुम्हारा उतारों मुझे

Saturday, 14 July 2012

आटे में नमक मिलाना मत भूल

सच -झूठ का दोस्ताना मत भूल
आटे में नमक मिलाना मत भूल

कामयाबी झक मारकर आएगी
खुद को काबिल बनाना मत भूल

उम्मीदें है औलाद से अगर
तू गलती पर धमकाना मत भूल

हवस और महोब्बत अलग अलग है
फर्क दोनों के दरमियाना मत भूल

उसूलो से छेड़ करे जो शख्स
तमाचा उसे लगाना मत भूल

आराम से रह कोठियों में मगर
तू घर अपना पुराना मत भूल

भूल जा बेशक याददश्त बेचैन
उसका मगर मुस्कुराना मत भूल




Saturday, 7 July 2012

तकदीर मगर देखो हूर जैसी है

शक्ल मेरी बेशक लंगूर जैसी है
तकदीर मगर देखो हूर जैसी है

ताकत और मिठास देती है दोनों
महबूब की बातें खजूर जैसी है

मत सोचने दे मुझे राख हो जाऊंगा
ज़ज्बात की गर्मी तंदूर जैसी है

बस इसी बात का अफ़सोस है मुझे
वो करीब होकर भी दूर जैसी है

जब देखो पेचीदगी भरी दिखती है
आदत तेरी किसी दस्तूर जैसी है

वो कोशिश करे सूखकर किसमिस बने
जिस शख्स की हालत अंगूर जैसी है

अब इससे ज्यादा क्या कहूं बेचैन
पाकीजगी मुझमे सिन्दूर जैसी है

Friday, 6 July 2012

पंछी की आँखों में सवालात दिखाई ना दिए

खुदगर्जी तो दिख गई हालात दिखाई ना दिए
गरीब के किसी को ज़ज्बात दिखाई ना दिए

सैयाद की भूख को तो मिल गया जवाब मगर
पंछी की आँखों में सवालात दिखाई ना दिए

ग्रांट दिलाने का वादा तो सबको दिखा मगर
विधायक के किसी को ख्यालात ना दिखाई दिए

सिर्फ वही लोग हुवे है जमाने में कामयाब
काम करते वक्त जिनको दिन रात दिखाई ना दिए

ड्राइंग रूम तो बेचैन सबको अच्छा लगा
घर में मगर केक्ट्स के जंगलात दिखाई ना दिए

कुत्ते की पूंछ में सीधापन आ जाएगा

छोड़ देगी जिस रोज शक करना लडकियाँ
कुत्ते की पूंछ में सीधापन आ जाएगा

तकदीर में लिखा है तो हाय तौबा छोड़
तेरे पास चलकर खुद धन आ जाएगा

वो बुढ़ापे में भी इश्क की बातें करेगा
मिजाज में जिसके बांकपन आ जायेगा

वो फिर पाताल में पीछा नही छोड़ेगा
अगर हुस्न का इश्क पर मन आ जायेगा

पहला शेर तुझ पर ही लिखूंगा बेचैन
शायरी का मुझे जिस दिन फन आ जायेगा

Tuesday, 3 July 2012

जान तू अगर मेरे लिए कोई ख्वाब हो गया

तुझको भुलाने में मैं अगर कामयाब हो गया
पछताओगे जो पैदा तेरा जवाब हो गया

बह निकले तेरे नाम के जो कभी अश्क आखरी
फिर समझो तुम्हारा मेरा सब हिसाब हो गया

आँखों को दिल को दे ना सके ठंडक जो दोस्तों
बेकार महोब्बत में वो फिर महताब हो गया

चाहकर भी इस जन्म में कभी मिल न सकोगे
जान तू अगर मेरे लिए कोई ख्वाब हो गया

बेचैन बता देगा अगर कोई भी पूछेगा
हद से जियादा काँटों का तू गुलाब हो गया

Monday, 2 July 2012

जिसे भी देखिए आजमाने को दौड़ता है

अहसास की धज्जी उड़ाने को दौड़ता है
साला हर एक रिश्ता खाने को दौड़ता है

कुछ खोने के लिए कोई भी तैयार नही है
कमबख्त हरेक इंसा पाने को दौड़ता है

खुद पर भरोसा तो जैसे जन्मजात नही है
जिसे भी देखिए आजमाने को दौड़ता है

कोई रूठ कर जाता है तो बेशक चला जाए
आज कौन किसे भला मनाने को दौड़ता है

मुआमला प्यार का हो तो जरा सोच बेचैन
कौन गरीब का हक दिलवाने को दौड़ता है

Friday, 29 June 2012

कितने युगों तक मन मारता रहूँ

कुछ ना कहूं बस तुझे निहारता रहूँ
अश्कों से आरती उतारता रहूँ

सचमुच करूंगा इंतजार लेकिन बता
कितने युगों तक मन मारता रहूँ

बस इतनी इनायत करना राधे
ता-उम्र तेरा नाम पुकारता रहूँ

तुमको पाकर जग जीत लिया लेकिन
अपने आप से कब तक हारता रहूँ

किसी रोज तो देख तू आकर बेचैन
और कितना दर्द बता संवारता रहूँ

Wednesday, 27 June 2012

कम से कम मजाक तो ना कर मेरे प्यार के साथ

तू छेड़छाड़ ना कर मेरे किरदार के साथ
मैं खुश हूँ अपने फकीरी व्यवहार के साथ

दौलत की हवस मुझमे अगर जागी किसी रोज
छोड़ जाऊंगा तुझको तेरे संसार के साथ

मेरा है तो मेरे अश्क तू पौंछ दे आकर
वरना क्यूं चाहता है मरू इंतजार के साथ

मुझको तू अपना समझ या न समझ तेरी ख़ुशी
कम से कम मजाक तो ना कर मेरे प्यार के साथ

खुदगर्जी के सिवा वह कुछ न मिलेगा बेचैन
मैं जुड़ना ही नही चाहता बाज़ार के साथ




Monday, 25 June 2012

तुझसे जियादा प्यारी नही है अपनी खाल मुझे

मैं गलतफहमी में हूँ तो मत बाहर निकाल मुझे
खूब राहत दे रहा है मेरा ही ख्याल मुझे

कही अँधा ना कर दे मुझे ख्वाबो की रौशनी
तू संजीदगी से सोचता है तो सम्भाल मुझे

आजकल हर बात पर आँखे छलक जाती है
जाने क्या दे जायेगा मौजूदा साल मुझे

बिना बात के तू बेशक उठा दिया कर तूफां
अच्छा लगने लगा है तेरा हर बवाल मुझे

अगर समझ सकता है तो समझ दर्दे दिल मेरा
बहुत ज्यादा जरूरत है तेरी फिलहाल मुझे

कालीन की जगह बिछानी पड़ी तो बिछा दूंगा
तुझसे जियादा प्यारी नही है अपनी खाल मुझे

दुनिया मेरी खूब देखी भाली है बेचैन
बेहतर होगा मत दे कोई भी मिसाल मुझे

Monday, 18 June 2012

बता किस शमा का शहर में परवाना नही है

तेरा मुझसे अगर सचमुच याराना नही है
जा फिर ये शख्स भी तेरा दीवाना नही है

शक की मेरे सर पर तलवार लटकाने वाले
शायद तुमने मुझे ढंग से पहचाना नही है

जब दिल करता है घर बैठ कर पी लेता हूँ
मेरे घर के करीब कोई मयखाना नही है

सब तुझसे मिलने के बाद ही तो महके है
मेरे दिल में कोई भी जख्म पुराना नही है

दोस्तों आग की तकदीर होता है धुंआ
बता किस शमा का शहर में परवाना नही है

महोब्बत में वही लोग पाते है दुःख बेचैन
महबूब को जिसने भी अपना माना नही है

Friday, 8 June 2012

विज्ञापनबाज़ी में फंस अखबार गिर गये

बाकि तो सब ठीक है पर किरदार गिर गये
भाईचारे के हर तरफ व्यवहार गिर गये

खबरों की प्रधानता तो अब रही ही नही
विज्ञापनबाज़ी में फंस अखबार गिर गये

खुदगर्जी ने कर डाले इस कदर अंधे
दूर दूर तक सब रिश्तेदार गिर गये

ख़ाक करेगा आम आदमी खरीदारी
शापिंग मॉल में ढलकर बाज़ार गिर गये

अब तो फूलों से ही खरी चुभन मिलती है
तीखे तेवरों वाले सब खार गिर गये

क्यूं नही होगा कत्ल अहसास का बेचैन
रिश्तों के जब सारे एतबार गिर गये

Thursday, 7 June 2012

कुछेक आदतें फर्जी तो सब मे होती है

आध पाव खुदगर्जी तो सब मे होती है
कुछेक आदतें फर्जी तो सब मे होती है

बेशक अपने मन से करो काम कोई भी
मुए वक्त की मर्जी तो सब मे होती है

अपने हाथों से अपने आंसू पौंछ ले
इतनी सी एनर्जी तो सब मे होती है

समाज सेवा का बेशक ढिंढोरा पीटो
गरीब से एलर्जी तो सब में होती है

कोई खुलकर ना कहे तो बेचैन क्या करे
इश्क की एक अर्जी तो सब में होती है

Tuesday, 5 June 2012

राजनीती में जरूरी है चिकना घडा होना

सांप का क्या तो छोटा और क्या बड़ा होना
राजनीती में जरूरी है चिकना घडा होना

इन्साफ की राह में सबसे बड़ी रुकावट है
गरीबों के लिए कानून का हिजड़ा होना

कोठियों और बैलेंस को रूतबा ना बोल
सच है माँ बाप का कोने में पड़ा होना

कामयाबी के बाद जो सबसे अच्छा लगा
तेरा भाईचारे में बीच में खड़ा होना

बात तो मेहनत से ही बनेगी नौजवान
सबके नसीब में नही है धन का गड़ा होना

लाज़मी है बहुत ही शायरी में बेचैन
महोब्बत के किसी जख्म का गला सड़ा होना

Monday, 4 June 2012

घर में बुढिया बैठी है जब तक है ऐश तुम्हारी

खासकर बेटो को है मुफ्त में मशवरा जारी
बीवी की हाजरी छोड़, करे माँ की तरफदारी

दबोच लेगी मियाँ बीवी को बाद में तो गृहस्थी
घर में बुढिया बैठी है जब तक है ऐश तुम्हारी

शौहर कमाता है दिमाग से निकाल दो फितूर
घर में बरकत है मां की दुआओं से ही सारी

मत पूछ हजाम से कितने बड़े है सर के बाल
तुम्हारे आगे आएगी तुम्हारी समझदारी

दौलत-ओ- रुतबे पर तेल छिड़क कर रख बेचैन
माँ  तो होती है बस अपनी ममता की मारी



मुझको तू चाहे अपना अजीज ना समझ

मुझको तू चाहे अपना अजीज ना समझ
पर मजे देने वाली भी चीज़ ना समझ

तुझको नही है इश्क तो अच्छी बात है
अगर है .तो बचने का ताबीज ना समझ

गुस्सा दिलाओगे तो फिसलेगी जुबान
वरना तू मुझे कोई बदतमीज़ ना समझ

मेरी वजह से कोई तकलीफ है तो बोल
इतना भी तू खुद को आजीज ना समझ

शुमार हूँ मैं भी शहर के नामी लोगों में
बेचैन मुझे इतना भी नाचीज़ ना समझ

Friday, 1 June 2012

नुकसान का टोटल उसी से पूछ बेचैन


रिश्तों में जब हुशयारी टाँगे अडाती है
सबसे पहले भरोसे की नींव हिलाती है

भूखे के दिन फिर सकते है झूठे के नही
मुझको आज भी माँ की बात याद आती है

कोई फरेब खाकर जोर का ठहाका लगा दे
किस शख्स की बता इतनी बड़ी छाती है

कसमों के जंगल में जो ले जाते है अक्सर
बिन हड्डी की जीभ उनका काम चलाती है

हर बात बता देते है महबूब को जो लोग
उन्ही को महोब्बत नानी याद दिलाती है 

नुकसान का टोटल उसी से पूछ बेचैन
जिस किसी की दौलते अहसास लुट जाती है

तू मत देना कभी सकूं पीर तो है मेरे पास

तुम ना सही तुम्हारी तस्वीर तो है मेरे पास
ना दे साथ किस्मत तदवीर तो है मेरे पास

रख अपने पास मेरी रूह का अचार डालकर
चलती फिरती लाश सा शरीर तो है मेरे पास

ढूंढ़ लूँगा अपने ही गम में हंसी का बहाना
तू मत देना कभी सकूं पीर तो है मेरे पास

मुझे रुलाएगा भी और हंसायेगा भी वही
तेरी याद का इक फकीर तो है मेरे पास

सर कलम कर दूंगा बुरे ख्यालो का बेचैन
शेरो-शायरी की शमसीर तो है मेरे पास

Sunday, 27 May 2012

पीने वालों की अलग अलग जमात है बेचैन

मत ज्यादा फ़िक्रमंद हो अपने दीवाने के लिए
एक ही बोतल काफी है मुझे लुढ़काने के लिए

एक तो संडे, मूड खराब ऊपर से तेरी याद
क्या इतने बहाने कम है पीने पिलाने के लिए

पांचवी पास पप्पू भी पैग लगाकर चिल्लाया
पढाई लिखाई जरूरी नही मयखाने के लिए

मन्दिर की घंटिया नही जिसे हर कोई बजा दे
कलेजा चाहिए पीकर गाडी चलाने के लिए

अमीर-गरीब सब एक साथ बैठ कर पीते है
ऊँची ज़ात जरूरी नही पैग लगाने के लिए

खूब जी दुखी पाता है उस वक्त शराबियों का
जब बैठता है कोई फक्त चने खाने के लिए

पीने वालों की अलग अलग जमात है बेचैन
कुछ आदतन कुछेक पीते शोर मचाने के लिए


हर तरफ से तेरे तो हिस्से में मात है

दिल भी कहता है पेचीदा हालात है
कुछ भी हो सकता है डरने की बात है

इश्क में हर कदम फूंककर रखियेगा
हाँ डूबना तैरना खुद के ही हाथ है

इक तरफ दुनिया है इक तरफ अहसास
सोचो किसके बिना अधूरी हयात है

दिल में नफरत महोब्बत तू कुछ भी उगा
पास अश्कों की गर तुम्हारे बरसात है

मसखरी हर कदम पर की है तकदीर ने
तेरे संग से ही सब संजीदा जज्बात है

सांसो में रखता हूँ मैं छिपाकर तुझको
तलाश कर ले कोई किसकी औकात है

पीछे हट या आगे बढ़ जाओ बेचैन
हर तरफ से तेरे तो हिस्से में मात है






Friday, 25 May 2012

सब जुगनू है बेचैन पैदाइश उनकी

आज तक जारी है आजमाइश उनकी
खुदा ही जाने क्या है ख्वाइश उनकी

वजूद का कोना कोना तो नाप चुका
बाकि है और कितनी पैमाइश उनकी

जां देने तक की मैंने हामी भर ली
और क्या पूरी करू फरमाइश उनकी

माँ के बाद उसी का दिल खूबसूरत लगा
इससे ज्यादा क्या करू सताइश उनकी

देर सवेर पलको पर चमकने वाले
सब जुगनू है बेचैन पैदाइश उनकी

सताइश -- प्रशंसा

Thursday, 24 May 2012

मेरी सोच में बचपन से महकता गुलाब था

कुछ दोस्त कमीने निकले कुछ वक्त खराब था
मैं उन दिनों वरना सौ फीसदी कामयाब था

कब सोचा था नागफनी मेरे आंगन में उगे
मेरी सोच में बचपन से महकता गुलाब था

हां साज़िसों के आगे बेबस थी मेरी तकदीर
बेईमानों के झुण्ड में मैं अकेला जनाब था

मेरे साथ यारों को हिस्से का आसमां मिले
यही तो जुर्म था मेरा बस यही इक ख्वाब था

चलेगी साँस जब तलक ना भूलूंगा वो मंजर
मेरी बर्बादी का हर एक कदम लाजवाब था

नही मालूम क्यूं हो गया था सफर बनवास
मेरे पास मेरी मेहनत का पूरा हिसाब था

अब तू मिल गया है मुझे फिर बना लूँगा महल
पूछा तो खंडहरों का बेचैन यही जवाब था

Monday, 21 May 2012

सबके होठों पर सर्द आह के प्याले होंगे

जितनी सिद्दत से जिसमे दर्द के नाले होंगे
उन्ही जख्मो से महोब्बत में उजाले होंगे

जिसको हर हाल में टूटना- बिखर जाना है
कल वही ख्वाब दिवानो के हवाले होंगे

मुझको नही मिलने के सैकड़ो सबब होंगे
खत तो उसने रोज डाक में डाले होंगे

गम के मारो की महफ़िल में देखिये जाकर
सबके होठों पर सर्द आह के प्याले होंगे

देख कर लगता है उसूले उल्फत अक्सर
जर्फ़ वालों की कसौटी पर निकाले होंगे

उसे पहला हक है बेचैन सफाई देने का
जिसने आस्तीनों में सांप ना पाले होंगे


Wednesday, 16 May 2012

मुझसे पूछो तो गीता और कुरआन हो तुम




मन्दिर की आरती मस्जिद की अजान हो तुम
मुझसे पूछो तो गीता और कुरआन हो तुम

इस जन्म में तो हम तुम जुदा होने से रहे
बताओ तो सही किसलिए परेशान हो तुम

बहरी हो या तुम्हारे दिमाग में खराबी है
तुझसे कितनी दफा कहू मेरी जान हो तुम

रूह सकूं पाती है तुम्हारा नाम लेने से
भला फिर क्यूं नहीं कहूं मेरा ध्यान हो तुम

मेरे जमीर ने तो तुझे खुदा मान लिया है
अब बेशक से लाख दर्जा बेईमान हो तुम

पाकर तुझको ख्वाब सजाने सीख गया हूँ
हकीकतन मेरे हौशले की उड़ान हो तुम

बता तो सही तुझको छोड़कर जाऊंगा कहाँ
मेरी धरती और बेचैन आसमान हो तुम

Tuesday, 15 May 2012

जिसे मौका मिला दोष लगा गया

जिंदगी में यारों दौर क्या आ गया
खुद के साए से ही मन घबरा गया

सही हूँ या गलत फैंसला कौन करे
सोच को इश्क का दीमक खा गया

लोग आँखों में शक लिए फिरते है
जिसे मौका मिला दोष लगा गया

लौटकर मैं दुबारा से नही आऊंगा
लम्हा जाता हुआ यही समझा गया

मैं अकेला  नही दुनिया में बेचैन
बेकसी का सभी पर दिल आ गया

Monday, 14 May 2012

मैंने तो तुझको अपना ईमान बना लिया है

दफन करता जाऊंगा तेरी सब गलतियों को
मैंने दिल में अपने कब्रिस्तान बना लिया है

मुझे उम्र भर निभाना है अहसास का रिश्ता
यही सोच तुझको अपनी जान बना लिया है

अब तेरे ही हाथों में है लाज अ महबूब
मैंने इश्क को अपना भगवान बना लिया है

घर तो तुम्हारे आने के बाद ही बनेगा
कहने भर को बेशक मकान बना लिया है

चाहो तो झूठा साबित कर देना बेचैन
मैंने तो तुझको अपना ईमान बना लिया है

Sunday, 13 May 2012

तुम्हारे आगे आएगी तुम्हारी समझदारी

खासकर बेटो को है मुफ्त में मशवरा जारी
बीवी की हाजरी छोड़, करे माँ की तरफदारी

दबोच लेगी मियाँ बीवी को बाद में तो गृहस्थी
घर में बुढिया बैठी है जब तक है ऐश तुम्हारी

शौहर कमाता है दिमाग से निकाल दो फितूर
घर में बरकत है मां की दुआओं से ही सारी

मत पूछ हजाम से कितने बड़े है सर के बाल
तुम्हारे आगे आएगी तुम्हारी समझदारी

दौलत-ओ- रुतबे पर तेल छिड़क कर रख बेचैन
माँ  तो होती है बस अपनी ममता की मारी

Saturday, 12 May 2012

क्या दूं तुझको अब पैग का हिसाब मेरी जान

दिमाग खराब हो या तेरी याद सताती हो
बस मैं उसी दिन पीता हूँ शराब मेरी जान

गुस्से में तो बोतल के ही मुह लगा लेता हूँ
क्या दूं तुझको अब पैग का हिसाब मेरी जान

सवालों के घेरे में आ गया हो प्यार जिसका
वो बेचारा क्या देगा बता जवाब मेरी जान

नशे की नही बात पूरे होश में कह रहा हूँ
तेरे लबों आगे कुछ नही गुलाब मेरी जान

तू मुस्कुराकर दे रहा है मुझे जाम पर जाम
बस यही आते है आजकल ख्वाब मेरी जान

इसलिए लगाता हूँ पटियाला पैग अक्सर
बेहद ही तो पसंद है मुझे पंजाब मेरी जान

जिसने कभी ना पी वही बदनामी करता है
वरना नही है बेचैन मय खराब मेरी जान

Friday, 11 May 2012

आग तू है तो मैं धुंआ हूँ तेरा

मेरी सांसो से तू निकलकर दिखा
बिन मेरे अ शमा तू पिंघलकर दिखा

ले आया हूँ तुझे इतनी दूर मैं
बिन मेरे दो कदम अब चलकर दिखा

मैं नमी बनकर आँखों में छिप गया
सुर्ख हो जाएगी आँख मलकर दिखा

बिन मेरे लडखडायेगा मयख्वार सा
मैं नही हूँ नशा तो सम्भलकर दिखा

रम चुका हूँ तुम्हारी फितरत में मैं
अपनी आदत से अब तू फिसलकर दिखा

मैं हाथों की रेखाओ में उभर रहा हूँ
तू विधाता का लिखा बदलकर दिखा

आग तू है तो मैं धुंआ हूँ तेरा
बिन मेरे तू बेचैन जलकर दिखा



Tuesday, 8 May 2012

तेरा भी हिस्सा है जमाने की खुशियों में


तैश में आने से रंग काला पड़ जाता है
गुस्से से मेरी जान तू किनारा किया कर

पहले ही गर्मी ने परेशानी बढ़ा रखी है
ठंडे दिमाग से थोडा गुज़ारा किया कर

जो बात मेरी तुझको नागवार लगती है
नही कहूँगा थोडा बस इशारा किया कर

यूं भी तेरी जुदाई में कमजोर हो गया हूं
नाराज होकर ना मुझे छुहारा किया कर

भटकते ही कमबख्त दूर निकल जाते है
तू ज़ज्बात मेरे ना यूं आवारा किया कर

कौन सी रोजाना फरमाइस करता हूँ मैं
चाहे हफ्ते में ही भला हमारा किया कर

तेरा भी हिस्सा है जमाने की खुशियों में
बेचैन सोच में शामिल जहाँ सारा किया कर

Sunday, 6 May 2012

तुमको तुम्हारी इक खता ने डूबोया है

मुझको जैसे मेरी वफा ने डूबोया है
तुमको तुम्हारी इक खता ने डूबोया है

हरेक मौज चिल्लाकर गवाही दे रही है
 कश्ती को यारों नाखुदा ने डूबोया है

मरने के बाद भी जिसे जिन्दा रहना था
उस अहसास को तो दगा ने डूबोया है

पत्थर पूजने का हश्र मालूम हुआ जब से
रो रहा हूँ मुझको श्रद्धा ने डूबोया है

बाप पर तो इल्ज़ाम लगा भी दोगे मगर
किस मुह से कहोगे मुझे माँ ने डूबोया है

सच्ची होती तो शायद जी लेता कुछ दिन
मुझे तुम्हारी झूठी अदा ने डूबोया है

घुटनों के बल ही चला था प्यार अभी बेचैन
जिसको तुम्हारे डर की सदा ने डूबोया है

जो कोई चाँद से मुखड़े को धोखा देगा

यकीनन होगा वो शख्स उल्लू का पट्ठा
जो कोई चाँद से मुखड़े को धोखा देगा

एकदम सीधी सी बात है इश्क में यारों
जो दिल नही दे पाया वो और क्या देगा

जियादा दिन नही चलती झूठी अदाकारी
सच आकर एक दिन तो पर्दा गिरा देगा

प्यार में जरूरत नही फालतू मुखबरी की
बातों का अंदाज़ ही सब कुछ बता देगा

अब क्या कहे उसकी होश्यारी बेचैन
ना सोचा था वो ऐसे बात को घुमा देगा

Friday, 4 May 2012

दिलो दिमाग पर भारी लुत्फे वस्ल क्यूं है

सोचता हूँ नसीब में इतने बल क्यूं है
जीस्त बेवफा तो बावफा अजल क्यूं है

दिल ने तो बुरा चाहा ही नही किसी का
फिर सीने में किसी खौफ की हलचल क्यूं है

वो शख्स जो मेरा कभी हुआ ही ना था
उसकी याद में मेरी आँखें सजल क्यूं है

आंसू भी तो किसी झील की पैदाइश है
फिर इतना मशहूर दुनिया में कमल क्यूं है

हिज्र से भी तो याराना रहा है बरसों
दिलो दिमाग पर भारी लुत्फे वस्ल क्यूं है

अपनों में शामिल और भी तो है बेचैन
फिर तू ही मेरे सब मसलो का हल क्यूं है

ज़ीस्त= जिंदगी   अजल = मौत 
 लुत्फे वस्ल= मिलन का आनंद

उसके पसीने में भी खुशबू आती है

दोस्तों दौर सचमुच कलयुगी आ गया
मैं मुस्कुराया तो वो गाली सुना गया

बच्चे जवान बूढ़े सब पर शक करते है
हुस्नवालों को भ्रम का कीड़ा खा गया

शरीफों को लल्लू समझती है लडकियाँ
कल रात मुझे मेरा महबूब बता गया

देखा जब बिल्लियों को आपस में लड़ते
सच कहता हूँ मुझे तो चक्कर आ गया

पायजामा तक जिसे न पहनना आता था
पड़ा इश्क में तो कमबख्त जींस फसा गया

उसके पसीने में भी खुशबू आती है
पहचान बस बेचैन इतनी बता गया

Thursday, 3 May 2012

उसके सच में भी दोस्तों सफाई नजर आती है

आदमी की हालत जब तमाशाई नजर आती है
उसके सच में भी दोस्तों सफाई नजर आती है

जिसके जो दिल में आये उसी नजर से देखे
गरीब की जोरू सबको लुगाई नजर आती है

सब रसूखदारों से याराना रखने की सजा है
मजबूरी भी यहाँ पर बेवफाई नजर आती है

लोगो के लिए वही तो है असली मजे की जड़
रिश्तेदारों के बीच में जो खाई नजर आती है

माँ बाप की फ़िक्र है यह और कुछ नही यारों
बेटे के शौक में भी जो बुराई नजर आती है

चाँद के पार ले जायेगा तू उसको बेचैन
औकात देखकर तो बातें हवाई नजर आती है



Wednesday, 2 May 2012

हर वक्त खुले रहते है क्यूं गेसू तुम्हारे


हर वक्त खुले रहते है क्यूं गेसू तुम्हारे
किसके लहू से धोने की कसम खाई है

बस इतना जान ले मस्त होने से पहले
 जानलेवा मेरी जान तेरी अंगडाई है

जिस अदा से फेरी तुमने जीभ होठों पर
आज सौ फीसदी किसी की शामत आई है

बेशक नसीब-ओ-हालत लाख बिगड़ जाये
हमने तो तेरा होने की कसम खाई है

मत लगाया कर आँखों में सुरमा बेचैन
पहले ही इन आँखों में बहुत गहराई है