अपना रस्ता अपनी मंजिल मुबारक हो तुझे
लो जिंदगी मैं तो चला आज मिलने कज़ा से
और ज्यादा सहन करना मेरे बस का नही
तंग आ गया हूँ तुम्हारी नखरीली अदा से
मिली इबादत के बदले में नरक की सजा
क्या कसूर था पूछूँगा मैं जाकर खुदा से
उसकी बेरुखी तो बाद में असर करती
दामन जला बैठा मैं अपनी ही वफा से
धरा रह गया जिंदादिली का ज़ज्बा बेचैन
लो हार गया मैं साँसे जिंदगी की जुआ से
लो जिंदगी मैं तो चला आज मिलने कज़ा से
और ज्यादा सहन करना मेरे बस का नही
तंग आ गया हूँ तुम्हारी नखरीली अदा से
मिली इबादत के बदले में नरक की सजा
क्या कसूर था पूछूँगा मैं जाकर खुदा से
उसकी बेरुखी तो बाद में असर करती
दामन जला बैठा मैं अपनी ही वफा से
धरा रह गया जिंदादिली का ज़ज्बा बेचैन
लो हार गया मैं साँसे जिंदगी की जुआ से
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