उधर देश के इधर दिल के हालात बिगड़े है
खुदा जाने क्या होगा दिन और रात बिगड़े है
देश को नेताओ ने दिल को सितमगर ने लूटा
फ़िक्र किसकी करू बुरी तरह ज़ज्बात बिगड़े है
चुटकला बनके रह गई है लगभग जिंदगी सबकी
आखिर किसलिए ज़िंदादिली के ख्यालात बिगड़े है
जवाब देने वाला क्या ऐसी तैसी करवाएगा
जब पूछने वाले के ही सवालात बिगड़े है
वक्त कैसे अच्छा आएगा उस शख्स का बेचैन
चोट खाकर जिसके मौजूदा लम्हात बिगड़े है
खुदा जाने क्या होगा दिन और रात बिगड़े है
देश को नेताओ ने दिल को सितमगर ने लूटा
फ़िक्र किसकी करू बुरी तरह ज़ज्बात बिगड़े है
चुटकला बनके रह गई है लगभग जिंदगी सबकी
आखिर किसलिए ज़िंदादिली के ख्यालात बिगड़े है
जवाब देने वाला क्या ऐसी तैसी करवाएगा
जब पूछने वाले के ही सवालात बिगड़े है
वक्त कैसे अच्छा आएगा उस शख्स का बेचैन
चोट खाकर जिसके मौजूदा लम्हात बिगड़े है
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