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Friday 19 August 2011

मांस नोचने में अब छा रहे है लोग



आँखों देखी मक्खी खा रहे है लोग
जान बूझके गर्क में जा रहे है लोग
शर्म-लिहाज़ पर बहस करने वाले
बेशर्मी का बिगुल बजा रहे है लोग
हमाम में नंगे होने की बातें छोडो
अब तो खुले में ही नहा रहे है लोग
चील और गिद्द भी हुवे खौफजदा है
मांस नोचने में अब छा रहे है लोग
राम नाम जपना पराया मॉल अपना
गीत एक ही सूर में गा रहे है लोग
कर ली है रिश्तेदारी झूठ से बेचैन
सच्चाई से भी जी चुरा रहे है लोग

1 comment:

Pradeep Sheoran said...

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