आँखों देखी मक्खी खा रहे है लोग
जान बूझके गर्क में जा रहे है लोग
शर्म-लिहाज़ पर बहस करने वाले
बेशर्मी का बिगुल बजा रहे है लोग
हमाम में नंगे होने की बातें छोडो
अब तो खुले में ही नहा रहे है लोग
चील और गिद्द भी हुवे खौफजदा है
मांस नोचने में अब छा रहे है लोग
राम नाम जपना पराया मॉल अपना
गीत एक ही सूर में गा रहे है लोग
कर ली है रिश्तेदारी झूठ से बेचैन
सच्चाई से भी जी चुरा रहे है लोग
1 comment:
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