आया न करो पेश यूं मेहमानों की तरह
तुझे बसाया है दिल में अरमानों की तरह
इसे शौक समझिये या कहिये बेबसी
मुदत से जल रहा हूँ परवानों की तरह
अ हुश्ने- बेपरवाह क्या खबर है तुझको
नशा है तेरी आँखों में पैमानों की तरह
पल में दूर हो जायेगा अँधेरा जिंदगी का
चिरागे-उल्फत जलाओ दीवानों की तरह
जवानी गर चाहे तो क्या नही हो सकता
हौसला करके देखो तूफानों की तरह
जिंदगी से तो खैर नामुमकिन थी वफा
मौत ने भी पेश आई बेजुबानो की तरह
क्या पता आंसू तेरे कोई खरीद ले बेचैन
कभी सज़ा तो सही पलकें दुकानों की तरह
1 comment:
wah kya gazal h, blog bhi accha banaya h
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