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Tuesday 2 August 2011

धडकन सा मगर तू मेरी जान ही रहा

मकी ना बना दिल का मेहमान ही रहा
दोस्त जिंदगी पर सदा अहसान ही रहा
टपकता रहा ता-उम्र लहू मेरी आँखों से
लेकिन तू तमाशाइओ सा हैरान ही रहा
बेशक चढ़ गया हो परवान दुश्मनी का
धडकन सा मगर तू मेरी जान ही रहा
ना रास आया जमीं पर जब कोई नजारा
दूर तक नजर दौड़ाने को आसमान ही रहा
कुछ यूं मिला सिला इंतजार का हमको
मरते दम तक आँखों में तूफ़ान ही रहा
जान गया जब बागवा बे-वफाई मौसम की
बहारो के आने पर भी परेशान ही रहा
बेचैन रुत की मानिंद दुनिया बदल गई
अपना राहे-वफा पर चलना ईमान ही रहा

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