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Thursday 29 December 2011

नये साल पर मशवरा है मुफ्त में सभी को

इस साल के झगड़े इसी साल निपटा लो
भूलकर नाराजगी रूठा महबूब मना लो

एक दूसरे की गलती फिर निकलना कभी
तुम फिलहाल नये साल की धूम मचा लो

प्यार है तो रूठना भी जरूरी है मेरे दोस्त
अच्छे से ये बात दिलों-दिमाग में बिठा लो

मिलता है मौका तो माथे पर चुम्बन लेकर
पाकीजगी के अहसास का दीपक जला लो

गर अगले जन्म में भी उसी की आरजू है
दे देगा खुदा शिवाले जाकर सर झुका लो

चाहत है नये साल पर गर ज्यदा मजे की
पैग लगाकर सच बोलने की कसम खा लो

नये साल पर मशवरा है मुफ्त में बेचैन
दोस्ती के रिश्ते को थोडा सा आगे बढ़ा लो



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