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Sunday 2 October 2011

सच कहूं मैं बहुत बड़े दिलदार से मिला




जो ऑनलाइन पनपा उस प्यार से मिला
आज फेसबुक के अपने इक यार से मिला
मिलते ही बिछा दी धडकने स्वागत में
सच कहूं मैं बहुत बड़े दिलदार से मिला
बहुत दूर थी बनावटीपन से बातें उसकी
मैं साफ़ सुथरे सच्चे व्यवहार से मिला
यही कहूँगा इस मुलाकात को लेकर के
एक कलमकार एक कलाकार से मिला
 लोहा है जिसकी अदाकारी का जहाँ में
बेचैन आज उस लाठर सरकार से मिला

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