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Sunday 4 September 2011

यही सीखा उसने बरबाद होकर



बहुत पछताया हो वो सैयाद होकर
जब नही उडा पंछी आज़ाद होकर
जमाना साज़ियो से बावस्ता निकला
हुश्यारी दिखाई उसने उस्ताद होकर
भरोसा भी भरोसे के जितना करो
यही सीखा उसने बरबाद होकर
हंसी से कुछ तो मयस्सर हो शायद
कुछ नही पाओगे नाशाद होकर
मौत के रूबरू हुआ तो कांपने लगा
जो मकतल में रहा था जल्लाद होकर
बेचैन होकर बस मुझे देखने लगा
ना ले सका वो नाम मेरा याद होकर

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