ठहरी आँखों की कसम दिल की शान चली गई
तू शहर से क्या गई, मेरी तो जान चली गई
दौड़ता है लहू रगों में सिर्फ कहने भर को
जिसे जिंदगी कहते है वो जुबान चली गई
एक बोझ बनकर वो धरती पर रह गया
जमाने में जिस शख्स की पहचान चली गई
तस्वीर के बहाने देकर मेरी तनहाइयो को
देकर सज़ा ए हिज्र का सामन चली गई
पैगाम लेकर आई थी जो मौज साहिल का
उठा कर मेरी जिंदगी में तूफ़ान चली गई
जाते ही खत लिखने का करके वादा बेचैन
खाकर झूठी कसम वो बेइमान चली गई
तू शहर से क्या गई, मेरी तो जान चली गई
दौड़ता है लहू रगों में सिर्फ कहने भर को
जिसे जिंदगी कहते है वो जुबान चली गई
एक बोझ बनकर वो धरती पर रह गया
जमाने में जिस शख्स की पहचान चली गई
तस्वीर के बहाने देकर मेरी तनहाइयो को
देकर सज़ा ए हिज्र का सामन चली गई
पैगाम लेकर आई थी जो मौज साहिल का
उठा कर मेरी जिंदगी में तूफ़ान चली गई
जाते ही खत लिखने का करके वादा बेचैन
खाकर झूठी कसम वो बेइमान चली गई
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