छोड़ दे शौक घरबार की चिंता कर
नादां ना बन व्यपार की चिंता कर
क्या हासिल हवाई किले बनाने से
घर की टूटी दिवार की चिंता कर
जवानी के भ्रम तो पछतावे देंगे
तू जिंदगी के सार की चिंता कर
खुदगर्जी में उम्र कैसे गुजरेगी
मन में छिपे विचार की चिंता कर
गजल का क्या बन ही जाएगी
अ सुखनवर असआर की चिंता कर
जो रहता है बेचैन तुझे पाने के लिए
कभी तो उस तलबगार की चिंता कर
1 comment:
Wah! bechain sahab kamal ki Ghazal hai Jawani ke bhram to pachhatave dege kya line ..........
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