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Sunday, 29 April 2012

तुझसे बिछड़ा तो जीते जी मर जाऊंगा


मैं जान दे दूंगा या तुझको पाऊंगा
तुझसे बिछड़ा तो जीते जी मर जाऊंगा

तीसरे दिन मेरा इंतिहान ना ले तू
तैश में जान कभी हद से गुजर जाऊंगा

मेरी हिम्मत है तू हमकदम बनके चल
कामयाबी को मैं बाँहों में भर जाऊंगा

अपनी आँखों में मुझको झाँकने तो दे
मेरा दावा है मैं भी संवर जाऊंगा

पढके रोयेंगे प्यार करने वाले सब
बेबसी लेके गजलो में उतर जाऊंगा

तेरे दामन पे गिरी ओंस की बूँद हूँ
छूकर देखो उंगली पे बिखर जाऊंगा

बन गया है तू मेरी कमजोरी बेचैन
छोड़ उम्मीद मेरी जान सुधर जाऊंगा


Friday, 27 April 2012

भला देखने वाला क्या आँखें फुडवाएगा


जब अदाओं के साथ हुस्न यूं पेश आएगा
भला देखने वाला क्या आँखें फुडवाएगा

बाकायदा मालूम है हलवाई को ये बात
जिसके नसीब में है मिठाई वो खाएगा

कलेजा मुह को आ गया है तस्वीर देखकर
क्या होगा गर तू रूबरू गौर फरमाएगा

अगर हो सके तो छोड़ ये अंदाज़ कतिलाने
वरना आशिको को आपस में भिडवाएगा

मजाक की सौ बातें मगर यह सच है बेचैन
मेरा महबूब  देख तू भी शरमा जाएगा

Thursday, 26 April 2012

जिंदगी तबाह करके इंतिहान ना दे


अपनी इक जिद के पीछे जान ना दे
जिंदगी तबाह करके इंतिहान ना दे

गलत फैंसला तो गलत ही होता है
तू करके जिरह कोई भी बयान ना दे

खुद ही कातिल है तू अपने वजूद का
इल्जाम वक्त के सर मेरी जान ना दे

डरता हूँ ले न जाए बहाकर तुझको
अपने सीने में कोई तूफ़ान ना दे

इंतजार की भी आखिर हद होती है
तू पछताने का खुद को सामान ना दे

आदत पड़ गई तो फिर छूट ना सकेगी
लबो को रोजाना झूठी मुस्कान ना दे

कोई भी मजबूरी नही कहती बेचैन
अपने हिस्से का खुद को आसमान ना दे

Wednesday, 25 April 2012

वो पांचवे दिन वस्ल का वादा कर गया


जिंदगी चार दिन की है कसमकश में हूँ
वो पांचवे दिन वस्ल का वादा कर गया

दिखाकर ख्वाब अगले जन्म का कमबख्त
अहसानमंद मुझको कुछ ज्यादा कर गया

जुल्फों की ज्यूं बातें भी पेंचभरी लगी
वो मना बेशक बे इरादा कर गया

महोब्बत में सच से जिसने गुरेज़ किया
फना उन्हें झूठ का लबादा कर गया

मैं उमर भर जिससे बचता आया था
सद हैफ वो काम दिले-नादां कर गया

औलाद के नाम तकदीर विरासत में
बताओ किसका बाप दादा कर गया

बदनसीबी तो देख राजा की बेचैन
रानी को बस मे एक प्यादा कर गया

वस्ल=मिलन
पेंचभरी=उलझी ,,, सद हैफ = सौ बार अफ़सोस

Tuesday, 24 April 2012

जिंदगी मैं तेरा एतबार तो बन सकता हूँ


हमसफर न सही गमख्वार तो बन सकता हूँ
जिंदगी मैं तेरा एतबार तो बन सकता हूँ

फूलों जितनी अहमियत शायद न हो मेरी
कांटा निकालने वाला खार तो बन सकता हूँ

पाऊँगा तुमको कभी तू जाने या नसीब
मगर तेरा मैं तलबगार तो बन सकता हूँ

हकीकत में तो शायद मेरी औकात ना हो
ख्वाबो में बसा किरदार तो बन सकता हूँ

तू जिसे चाहेगा प्यार तो उसे देगा बेचैन
नफरत का पर मैं हकदार तो बन सकता हूँ

Monday, 23 April 2012


पागल था जनूनी था ना जाने क्या था
वो शख्स दीवानगी की तस्वीरे निहा था

महफ़िल में उसे देखकर हंस रहे  थे सभी
लेकिन मैं उसके दर्द के रूबरू बैठा था

हैरान हुआ आशिक का रोना देख कर
आंसुओ में उसके महबूब का चेहरा था

तुम तो उसकी महफ़िल में सारी रात थे
बता तो सही जिक्र मेरा कैसे चला था

दौरे अलम में जिसने साथ दिया बेचैन
वो शख्स मेरी नजर में एक मसीहा था

तुमको माँ जैसी दुआओं का असर मिलेगा
सजदे में तेरे आशिक का जब सर मिलेगा

शक्ल का क्या ये तो जन्मजात झूठी होती है
मेहनत का समर तो करम देखकर मिलेगा

तुम्हारी कसम मंजिल को दुल्हन बना लूँगा
तुम्हारा प्यार गर मुझको उम्र भर मिलेगा

तंज़ कसना जिनकी फितरत में शामिल हो चुका
उन हाथों में सदा दोस्तों पत्थर मिलेगा

दुःख आने से पहले ही दुखी मत हो बेचैन
हरेक काम में वरना तुझे एक डर मिलेगा

इश्क तूने क्या से क्या मंजर दिखा दिए

इश्क तूने क्या से क्या मंजर दिखा दिए
सब के सब करेले नीम पर चढ़ा दिए

लानत तेरे धडकने पर अ कमबख्त दिल
नई पीढ़ी के तुमने दिमाग सड़ा दिए

अपनी तो समझ से है बाहर माज़रा  
भैन्गों ने भी नजरों के पेंच लड़ा दिए

क्या ख़ाक मजा ले घुड़दौड़ का जनाब
हाथी घोड़े ऊंट एक साथ दौड़ा दिए

मरकर भी बेचैन लोग याद रखते है
महबूब ने जो हंसकर सबक सीखा दिए

गुलों की खुशबू जिस्म में पुरजोर लाये हो



इतनी  सादगी कहाँ से बटोर लायें हो
लगता है खुदा के यहाँ से चोर लाये हो

शर्मों-हया से पलकें झुका कर चलना
हंसने की अदा काबिले गौर लाये हो

क्यूंकर ना परेशां हो देखकर वो चाँद
जुल्फों के साए में चेहरा चकोर लाये हो

देखकर महफ़िल में हर कोई कह रहा है
जुल्फें नही ज़ालिम रेशम की डोर लाये हो

सुनते ही लगे झूमने लोग होकर दीवाने
सावन के महीने का पायल में शोर लाये हो

हर कोई तुम्हारी और खिंचा जा रहा है
गुलों की खुशबू जिस्म में पुरजोर लाये हो

क्यूंकर ना बढ़े धडकने देखकर बेचैन
तवज्जो आज अपना मेरी ओर लाये हो

हां आज भी मैं गरीबी से प्यार करता हूँ



मुफलिसी मेरी माँ थी स्वीकार करता हूँ
हां आज भी मैं गरीबी से प्यार करता हूँ

ज्यादा बड़ा अब भी वजूद नही है मेरा
फिर भी छोटा होने का इकरार करता हूँ

औकात की बात आप न करो तो अच्छा
मैं हैसियत वालों पे कम एतबार करता हूँ

शोहरत और दौलत मेरी नौकरानी होगी
मैं मन ही मन दोस्तों इंतजार करता हूँ

लगाकर दिल काँटों से कभी कभी बेचैन
मैं फूलों को भी अक्सर शर्मसार करता हूँ

एक प्यार स्कूली को खड़ा सामने पाता हूँ



बचपन से जवानी तक जब नजरें दौड़ाता हूँ
एक प्यार स्कूली को खड़ा सामने पाता हूँ

नही भूला हूँ दोनों ही हम उमर के कच्चे थे
अहसास में पर यारों हम बिलकुल सच्चे थे
बंद करता हूँ जब आँखें कही खो सा जाता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................

उस जैसी सादगी और मुस्कान नही देखी
कहने को तो दुनिया में खूब निगाह फेंकी
हाय उसकी नजाकत पर सर को झुकाता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................

रातों को उठ उठ कर मैंने रोकर भी देखा हैं
तन्हाइयों में सिसकी का होकर भी देखा हैं
नहीं कुछ भी हुआ हासिल यारों पछताता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................

कितना ही मेरे दाता मेरे हिस्से कयामत दे
याददाश्त को भी बेशक कोई भी आफत दे
पर पाठ महोब्बत का नही भूलना चाहता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................

नही बात अकेले की मैं सबकी करता हूँ
इल्जाम महोब्बत का हर सर पे धरता हूँ
यहाँ बेचैन हैं हर कोई सरेआम बताता हूँ
एक प्यार स्कूली को..................


दुश्मन ही मेरा हिसाब रखते




मुझे मुनीमों की क्या जरूरत
दुश्मन ही मेरा हिसाब रखते

अपने जरूरी काम भूलकर भी
याद मेरा वो हर ख्वाब रखते

हो चाहे चुगली बनाम बेशक
वो चर्चा मेरी बेहिसाब रखते

नशे की हद तक गुजरते है वो
जो जाम के संग कबाब रखते

ना यादें इतना महकती उनकी
ना किताबों में जो गुलाब रखते

निहाल होते डूबकर दोनों बेचैन
जो नसीब में कोई चनाब रखते

पीने के बाद हनुमान बन जाता हूँ

 पीने के बाद हनुमान बन जाता हूँ
अपने मोहल्ले की शान बन जाता हूँ

मैं खूब खोलता हूँ पोल पड़ोसियों की
जब सच बोलने की खान बन जाता हूँ

जब लगाते है लोग शर्त मेरे होश पर
तब मैं गीता और कुरआन बन जाता हूँ

कर के देखो मुझसे किसी बात पर बहस
नशे में जहाँ भर का मैं ज्ञान बन जाता है

देता हूँ बेचैन ऊंचाई छोटे भाई को मैं
जाम लगाकर जब आसमान बन जाता हूँ

haryanavi kavi samelan rohtak.dat

क्या खोजती हो रोजाना मुझ फकीर में

मैं जकड़ा हुआ हूँ हालात की जंजीर में
क्या खोजती हो रोजाना मुझ फकीर में

मैं जिंदगी के सर्कस का जोकर हूँ जान
नही लिखवाकर लाया हंसना तकदीर में

मैं नही हूँ तुम्हारे ख्वाबो का शहजादा
मत बर्बाद कीजियेगा वक्त इस कबीर में

कैसे लूं तुझे बाँहों में भरने का ख्वाब
जब दिख नही रही तुम हाथों की लकीर में

होकर बेचैन दम तोड़ता है तो तोड़ने दो
मत तरस खाना अपनी जुल्फों के असीर में
असीर= कैदी



 



haryanavi kavi samelan rohtak 2.dat

क्या बताऊ क्या आज तेरे दीवाने का मन है


क्या बताऊ क्या आज तेरे दीवाने का मन है
बीच सफर से चुपचाप लौट जाने का मन है

थक कर चूर हो गया हूँ खुद से लड़ते -लड़ते
हार को आज तो गले लगाने का मन है

हाँ सबको रास थोड़े ही आती है महोब्बत
दिलों-दिमाग में यह बात बिठाने का मन है

ओढ़कर गुमनामी दूर बहुत दूर निकल जाऊ
बेदर्दी दुनिया में फिर कभी ना आने का मन है

बात सच्ची कहू तो आज पहली बार बेचैन
उसे क्यूं जान बनाया पछताने का मन है

बता किस रोज मेरे बारे में सोचा तुमने


हमेशा बाज़ बनकर ज़हन को दबोचा तुमने
बता किस रोज मेरे बारे में सोचा तुमने

खुद ही चुप हुआ हूँ हर बार सुबकिया लेकर
अफ़सोस मेरे आंसुओ को ना पोंछा तुमने

भरने लगे जब भी मेरी उदासियों के जख्म
जानबूझ कर अक्सर उनको खरोचा तुमने

लहू से सना हुआ दिल दिया था मैंने तुझको
मांस का टुकड़ा समझ चील सा नोचा तुमने

ये सिला मिला मुझको चाहत का बेचैन
मेरी दीवानगी को बता दिया ओछा तुमने

या रब मैं इतना गुस्सा क्यूं होता हूँ

उसे उल्टा सीधा बोलकर खूब रोता हूँ
या रब मैं इतना गुस्सा क्यूं होता हूँ

शीशे की तरह साफ़ है इश्क के हालात
फिर भी रोज नये ख्वाब क्यूं संजोता हूँ

तेरी याद में मंगल वीर सब एक समान
बता कौन से दिन पलकें ना भिगोता हूँ

मुस्कुराना अपनी जगह मगर सच है यह
आजकल चैन की नींद नही सोता हूँ

अब भी वही जवाब है उसका बेचैन
मैं ही सवालातों का बोझ ढोता हूँ

तेल लेने गया प्यार आज से

तेल लेने गया प्यार आज से
रंगीन रखूंगा विचार आज से

खूब करूंगा अब दबकर आशिकी
नही डर किसी का यार आज से

सुना है हीरोइन के फोटो छपते है
देखा करूंगा अखबार आज से

हसीनो के लिए धड़केगा दिल
बनूंगा पक्का दिलदार आज से

इश्कबाजी अब नगद बेचैन
कर दी है बंद उधार आज से

मैं काटकर जुबां दे दूं तो भी कम है


तेरे अहसान में इतना बड़ा दम है
मैं काटकर जुबां दे दूं तो भी कम है

वरना तो शक होता था अपने आप पर
तुझे पाया तो लगा मेरे अच्छे कर्म है

... क्यूं नही होगा तेरा रोजाना दीदार
जान सोच सोच कर मेरी आँखे नम है

देखना मैं भी साथ दूंगा और किस्मत भी
तेरे साथ बुरा होगा यह मन का भ्रम है

अपना तो गणित यही कहता है बेचैन
करोड़ो में तुम जैसे कुछेक ही सनम है

मैं खा गया हूँ महोब्बत की कसम मेरी जान


मैं खा गया हूँ महोब्बत की कसम मेरी जान
इस जन्म में तुझसे कभी अब बात ना करूंगा

यूं तो तुझसे बिछड़कर रोना है उम्र भर मगर
तुम्हारे लिए अब अश्को की बरसात ना करूंगा

ढलते ही साँझ चुपचाप सो जाया करूंगा कल से
तेरी याद में कभी काली अब रात ना करूंगा

बुरा हो सोच का चाँद छूने की तमन्ना कर बैठा
आइन्दा मैं कभी इतनी बड़ी औकात ना करूंगा

निजात मिल गई मुझको भी अब माथा रगड़ने से
बेचैन मन्दिरों में जाकर अब मुनाजात ना करूंगा

मुनाजात== प्रार्थना

कुछ लोगों को है मुफ्त में सलाह जारी



कुछ लोगों को है मुफ्त में सलाह जारी
वो कमीनापन छोड़ दे या रिश्तेदारी

अपनेपन की जिसमे बू तक भी नही हो
हम किसलिए करें उनकी खातिरदारी

सिक्के के पहलू ही देखे है बचपन से
खूब समझ आती है मुझे दुनियादारी

थपेड़े वक्त के खाए तो कुछ ज्ञान हुआ
नही धूप में सफेद हुई जुल्फें हमारी

 कौन पूछता था मूंग मसूर की दाल
 वक्त की हुई बेचैन ऐसी तैसी सारी

मन को जिस दिन से समझाया है


मन को जिस दिन से समझाया है
माँ कसम जीने का मजा आया है

भूख प्यास भी वक्त पर लगने लगी है
हमने भ्रम का जब से पर्दा गिराया है

भाड़ में जाए अब महोब्बत के वादे
हमने दिल की दिवार पर लिखवाया है

देख कहने लगे थे मोहल्ले वाले सब
बेचारे पर किसी चुड़ैल का साया है

मैं सेहत पर दूंगा अब गौर बेचैन
कमबख्त ने बहुत ही खून जलाया है

प्यास को उसके हिस्से का पानी दे दे


तू फिर से मेरी तबियत में रवानी दे दे
प्यास को उसके हिस्से का पानी दे दे

जीते जी तो नही मरने के बाद ही सही
तुझे भी प्यार था मुझे बदगुमानी दे दे

कम से कम रूह तो भटकने से बच जाएगी
मेरे कफन वास्ते अपना चुनर धानी दे दे

पहले भी देर सवेर तू देता आया है
आज फिर से मुझे अपनी मेहरबानी दे दे

नही मांगता कुछ भी नया तुझसे बेचैन
मुझको मेरी वही दास्तान पुरानी दे दे

प्यार है तू मेरा अफ़सोस नही


दिल तेरी याद में सुबकता है
आके चुप क्यूं नही तू करवाता

दम निकलने को है तुम्हारी कसम
है आखरी पल क्यूं नही तू आता

मैं बिखर जाऊंगा खुशबू की तरह
ता-उम्र रहियों फिर तू पछताता

तुझको चाहा यही है जुर्म मेरा
इस खता की सज़ा तो दे जाता

रोज कहता है आईने से जो
काश मुझसे कभी तू कह पाता

प्यार है तू मेरा अफ़सोस नही
आ जाता तो मैं तुझको समझाता

आहें बेचैन सुनता जो मेरी
जाके मन्दिर में आंसू छलकाता

जिंदगी तू जो नही हासिल तो मरने दे मुझे


अपनी आँखों के समन्दर में उतरने दे मुझे
जिंदगी तू जो नही हासिल तो मरने दे मुझे

लडखडाने को तो बाकि है उम्र भर का सफर
प्यार का पहला कदम ढंग से तो धरने दे मुझे

तुझको पाना ही तो बाकि है अब ख्वाब मेरा
ख्वाब से थोड़ी सी मिन्नत तो करने दे मुझे

इस कदर होती है खूबसूरती मालूम ना था
सामने आ गये हो तो देख जी भरने दे मुझे

अच्छे खासे इंसा को हां तुमने बेचैन किया
गलती किसकी है सोच से तो गुजरने दे मुझे

भीड़ से आया था लौटकर भीड़ में ही जा रहा हूँ


भीड़ से आया था लौटकर भीड़ में ही जा रहा हूँ
मैं सदा के लिए तुझको मेरी जान भूला रहा हूँ

दिल में ज्यादा तो नही दर्द मगर इतनी सी कसक है
मैं अपने आप से अबकी बार धोखा खा रहा हूँ

हो सके तो मुआफ करना मेरी तमाम गलतियों को
अपने आज तक के किये पर मैं खूब पछता रहा हूँ

छोड़ दिया वक्त पर मैंने अपनी हालत का फैंसला
मालूम नही कल का फिलहाल आंसू बहा रहा हूँ

बार बार चोट मारी है तुमने वजूद पर बेचैन
मैं जख्मी हालत अपनी इसलिए भी छिपा रहा हूं

उभरे है तेरे रुख पर किस नादानी के मुहांसे


उभरे है तेरे रुख पर किस नादानी के मुहांसे
मच्छरों ने काट खाया या है जवानी के मुहांसे

चेहरा मन का आइना है  क्या क्या छिपाओगे
छोड़ते है निशान अक्सर कारस्तानी के मुहांसे

हाँ रखते है लेखा जोखा हर अच्छे और बुरे का
खोलते है पोल चिल्लाकर प्रेम कहानी के मुहांसे

बस यही तो चाहता है दुनिया का हरेक दीवाना
मिट जाये जड़ से पल में मेरी रानी के मुहांसे

छिपा नही पता है उसे अच्छे से अच्छा मैकअप
अलग दिख जाते है बेचैन परेशानी के मुहांसे









Sunday, 22 April 2012

तू फसा तो बताऊंगा क्या चीज़ हूँ साले


मुझे इश्क की सूली पर लटकाने वाले
तू फसा तो बताऊंगा क्या चीज़ हूँ साले

हरेक नौजवान से है यही दरखास्त मेरी
कोई जानबूझ कर प्यार का पंगा ना ले

हर चीज़ में दिखती हो जब सूरत उसकी
खाना तक भी ऐसे में कोई कैसे खा ले

सच्ची महोब्बत है और वो नाराज तुझसे
अगर माँ का दूध पीया है तो मुस्कुरा ले

बार बार यही गुजारिस करता है बेचैन
दीवानगी किसी की कोई मजाक में ना ले

Thursday, 19 April 2012

मेरे ख्वाबो की परवाज हो तुम


मेरे ख्वाबो की परवाज हो तुम
जिंदगी किसलिए नाराज हो तुम

गुज़रा वक्त तो मुझे भी याद नही
मगर मेरा कल और आज हो तुम

मैं बेशक शाहशाह नही हूँ मगर
याद रखना मेरी मुमताज़ हो तुम

बिन तेरे मर जाऊंगा तडफ कर
मेरे दर्दे दिल का इलाज़ हो तुम

पाप मन का तेरे आगे रख दिया
मेरी उम्र भर का हमराज हो तुम

इक तेरे ही तो दम पर गूंज है
मेरी जुबां मेरी आवाज़ हो तुम

नही है कोई तुझ जैसा जहाँ में
बेचैन कर दे वो अंदाज़ हो तुम