मैं खा गया हूँ महोब्बत की कसम मेरी जान
इस जन्म में तुझसे कभी अब बात ना करूंगा
यूं तो तुझसे बिछड़कर रोना है उम्र भर मगर
तुम्हारे लिए अब अश्को की बरसात ना करूंगा
ढलते ही साँझ चुपचाप सो जाया करूंगा कल से
तेरी याद में कभी काली अब रात ना करूंगा
बुरा हो सोच का चाँद छूने की तमन्ना कर बैठा
आइन्दा मैं कभी इतनी बड़ी औकात ना करूंगा
निजात मिल गई मुझको भी अब माथा रगड़ने से
बेचैन मन्दिरों में जाकर अब मुनाजात ना करूंगा
मुनाजात== प्रार्थना
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