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Monday, 30 January 2012

खुद ही बोल इस हफ्ते कितना मुस्कुराया है

महबूब से बिछड़कर कौन खुश रह पाया है
खुद ही बोल इस हफ्ते कितना मुस्कुराया है

पिछले दो महीनो की तस्वीरे भेज रहा हूँ
देख कर बता नूरे-शक्ल कितना गवांया है

साफ़ साफ़ बक दिए हालात जिसने दिल के
बाद में उसी का लोगों ने मजाक उड़ाया है

माँ के मरने पर भी ना रोया हूँ इतना
 तुम्हारी नाराजगी ने जितना रुलाया है

मुआमला इश्क का हो व्यापार का बेचैन
ना ज़हन में रख दिक्कतों ने यही सिखाया है