भीड़ से आया था लौटकर भीड़ में ही जा रहा हूँ
मैं सदा के लिए तुझको मेरी जान भूला रहा हूँ
दिल में ज्यादा तो नही दर्द मगर इतनी सी कसक है
मैं अपने आप से अबकी बार धोखा खा रहा हूँ
हो सके तो मुआफ करना मेरी तमाम गलतियों को
अपने आज तक के किये पर मैं खूब पछता रहा हूँ
छोड़ दिया वक्त पर मैंने अपनी हालत का फैंसला
मालूम नही कल का फिलहाल आंसू बहा रहा हूँ
बार बार चोट मारी है तुमने वजूद पर बेचैन
मैं जख्मी हालत अपनी इसलिए भी छिपा रहा हूं
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