Friends

Tuesday, 18 September 2012

मैं फायदा उठा रहा हूँ भोलेपन का कहते क्यूं नही

तुझे सोचकर दर्द बढ़ता है मेरे मन का कहते क्यूं नही
मैं हिस्सा बन गया हूँ तेरी उलझन का कहते क्यूं नही

जिंदगी सच बता वास्ता है तुझको तेरी ही पाकीजगी का
मैं तुझे चोर दिखता हूँ ना तेरे तन का कहते क्यूं नही

जो इल्जाम कल जमाना देगा तू आज ही दे दे तो अच्छा
मैं फायदा उठा रहा हूँ भोलेपन का कहते क्यूं नही

मेरी मुफलिसी-ओ- किरदार तेरे रुतबे आगे छोटे है
यही सबब तो है रोजाना की अनबन का कहते क्यूं नही

वैसे भी तो तुझको मर्द जात से सख्त नफरत है बेचैन
नही है भरोसा है तेरे चाल चलन का कहते क्यूं नही