तू फिर से मेरी तबियत में रवानी दे दे
प्यास को उसके हिस्से का पानी दे दे
जीते जी तो नही मरने के बाद ही सही
तुझे भी प्यार था मुझे बदगुमानी दे दे
कम से कम रूह तो भटकने से बच जाएगी
मेरे कफन वास्ते अपना चुनर धानी दे दे
पहले भी देर सवेर तू देता आया है
आज फिर से मुझे अपनी मेहरबानी दे दे
नही मांगता कुछ भी नया तुझसे बेचैन
मुझको मेरी वही दास्तान पुरानी दे दे
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