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Thursday, 22 November 2012

तू कितना घटिया था ख्याल दिल से मरने नही दूंगा

तेरी  बेवफाई के जख्मो को कभी भरने नही दूंगा
तू कितना घटिया था ख्याल दिल से मरने नही दूंगा

थूकता रहूँगा सुबह और शाम तेरी तस्वीर पर
तेरी इबादत अब धडकनों को करने नही दूंगा

ले लेकर तेरा नाम बहुत रो चुका बिलख-बिलखकर
आइन्दा आंसुओ को दिन रात झरने नही दूंगा

निकाह मौत से करना पड़ा तो कर लूँगा चुपचाप
अब दर्द-ए-जुदाई को जियादा निखरने नही दूंगा

बेचैन तेरे साथ गुज़ारे हुवे लम्हों की कसम
तुम्हारी यादों को कदम ज़हन में धरने नही दूंगा