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Monday, 17 September 2012

तेरा ही तो इंतजार है पथराई आँखों में

तू अश्क बनकर रहता है डबडबाई आँखों में
तेरा ही तो इंतजार है पथराई आँखों में

तू मिले जिस रोज उस दिन झांक कर देख लेना
सुबक सुबक कर पड़ गई है कितनी काई आँखों में

इसलिए ज्यादा फिक्रमंद मैं आजकल रहने लगा हूँ
अपना घर बसा चुकी है जान तन्हाई आँखों में

तू करता तो है बात के साथ मुझ पर शक मगर
क्या लगती है तुझे कही से बेवफाई आँखों में

इससे जियादा तुझे और क्या कहू बेचैन
तडफती रहती है प्यार की सच्चाई आँखों में